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शहीद भगतसिंह ने फांसी पर चढने से कुछ समय पहले कहा था _”जब गतिरोध की स्थिति लोगों को अपने शिकंजे में जकड़ लेती हे तो किसी भी प्रकार की तब्दीली से वे हिचकिचाते हें| इस जड़ता और निष्क्रियता को तोड़ने के लिए एक क्रन्तिकारी स्पिरिट पैदा करने की जरूरत होती हे ,अन्यथा पतन और बर्बादी का वातावरण छा जाता हे, लोगों को गुमराह करनेवाली प्रतिक्रियावादी शक्तियाँ जनता को गलत रास्ते पर ले जाने में सफल हो जाती हें|इससे इन्सान की प्रगति रुक जाती हे और उसमें गतिरोध आ जाता हे| इस परिस्थिति को बदलने के लिए जरूरी हे कि क्रांति की स्परिट ताजा की जाय, ताकि इंसानियत की रूह में एक हरकत पैदा हो"....
स्वतंत्र विचारक (यहां हम बच्चों की बात कर रहे हैं )निर्धारित कर सकते हैं कि वे कुछ कैसे पूरा करना चाहते हैं, भले ही कोई उन्हें बताए कि यह कैसे किया जाता है। *वे दूसरों से सहायता मांगे बिना स्वतंत्र रूप से समस्याओं को हल करने की अधिक संभावना रखते हैं।* स्वतंत्र विचारक निर्देशों का पालन करके अकेले कुछ करना शुरू कर सकते हैं और फिर प्रक्रिया के दौरान उत्पन्न होने वाली विभिन्न परिस्थितियों का सामना करते समय आवश्यक रूप से जो सीखा है उसे समायोजित कर सकते हैं।
जय हिंद
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