जय बाला गोरिया न्यायकारी दुधाधारी गढ़चम्पावत को राजा झालराई को लाल तू, माता कालिंका को साँचो पूत, चितई चौथान में तू, घोड़ा संग घोड़ाखाल में तू,नमोव, चमड़खान और ताड़ीखेत में तू, सारे काली कुमाऊँ तेरो राज गोरिया, धदिये की धाद सुनछे, दुखिया को दुःख हरछे, दूधक दूध पाणिक पाणी करछे। साँच मनल जो त्यर नाम ल्योछ तू वैकि मनइच्छा पूरी करछे।
शिक्षा से ही बदलाव होगा ......
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