वीर केसरी चन्द: उत्तराखंड के एक अमर शहीद । 🇮🇳🇮🇳🇮🇳
वीर केसरी चन्द एक ऐसा नाम है, जिन्होंने देश के लिए अपनी जान की आहुति दी। उनकी शौर्यगाथा देशवासियों के बीच गौरवपूर्ण है। उन्हें अमर शहीद का दर्जा दिया गया है ।
वीर केसरी चन्द का जन्म १ नवंबर १९२० को उत्तराखंड के जौनसार बावर के क्यावा गांव में हुआ था। उन्होंने अपनी प्राथमिक शिक्षा विकासनगर से पूरी की थी और वे बचपन से ही निर्भीक और साहसी थे। उन्हें खेलकूद में भी बहुत रुचि थी।
देश में स्वतंत्रता आन्दोलन की सुगबुगाहट के चलते केसरी चन्द ने पढ़ाई के साथ-साथ कांग्रेस की सभाओं और कार्यक्रमों में भी भाग लिया। इनकी विशेषताओं में नेतृत्व के गुण और देशप्रेम की भावना थी।
वीर केसरी चन्द ने डीवीडी कॉलेज, देहरादून से हाईस्कूल की परीक्षा उत्तीर्ण की थी और इसी कॉलेज में इंटरमीडिएट की पढ़ाई भी की थी। देश के स्वतंत्रता और एकता के लिए अपनी जान को खतरे में डालने की वोलंटियरिंग करते हुए उन्होंने १९४२ में आजाद हिंद फोज में शामिल हो गए। वे सीमा पार करके बरमा और म्यांमार में जाकर जापानी फोजों से लड़े।
इम्फाल के मोर्चे पर एक पुल उड़ाने के प्रयास में ब्रिटिश फौज ने इन्हें बन्दी बना लिया और दिल्ली की जिला जेल भेज दिया। वहां पर ब्रिटिश राज्य और सम्राट के विरुद्ध षडयंत्र के अपराध में इन पर मुकदमा चलाया गया और मृत्यु दण्ड की सजा दी गई। मात्र २४ वर्ष ६ माह की अल्पायु में यह अमर बलिदानी ३ मई, १९४५ को ब्रिटिश सरकार के आगे घुटने न टेककर हंसते-हंसते ’भारतमाता की जय’ और ’जयहिन्द’ का उदघोष करते हुये फांसी के फन्दे पर झूल गया। वीर केसरी चन्द की शहादत ने न केवल भारत वर्ष का मान बढ़ाया, वरन उत्तराखण्ड और जौनसार बावर का सीना गर्व से चौड़ा कर दिया। भले ही उनकी शहादत को सरकारों ने भुला दिया हो, लेकिन उत्तराखण्ड के लोगों ने उन्हें और उनकी शहादत को नहीं भुलाया। उनकी पुण्य स्मृति में आज भी चकराता के पास रामताल गार्डन (चौलीथात) में प्रतिवर्ष एक मेला लगता है, जिसमें हजारों-लाखों लोग अपने वीर सपूत को नमन करने आते हैं। जौनसारी लोक गीत ’हारुल’ में भी इनकी शहादत को सम्मान दिया जाता है।
आज भी हमारे देश में कई ऐसे सैनिक हैं जो देश के लिए अपनी जान देने को तैयार हैं। उन्हें हमारा समर्थन और सम्मान मिलना चाहिए। हम सभी को इस बात का अवगत होना चाहिए कि देशभक्त सैनिक हमारी और देश की हर प्रकार से सेवा करते है अनेको कष्ट। सहकर वे दिन रात मातृभूमि की सेवा में अपना सर्वस्व निछावर करने को तत्पर रहते हैं, और हमें स्वतंत्र राष्ट्र के रूप में जीवन देते हैं।
वीर केसरी चन्द के जीवन और उनके बलिदान की कहानी देश की ताकत और इसकी नीति की शक्ति का उदाहरण है। उनके शहीदी दिवस पर हमें उनके बलिदान को याद करना चाहिए और देश के लिए समर्पण की प्रेरणा लेनी चाहिए।
शिक्षक भास्कर जोशी
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बहुत रोचक जानकारी🇮🇳🙏
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