करतार सिंह सराभा एक प्रमुख भारतीय क्रांतिकारी थे जिन्होंने भारतीय स्वतंत्रता आंदोलन में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी। 24 मई 1896 को पंजाब में जन्मे करतार सिंह सराभा तत्कालीन राजनीतिक और सामाजिक परिस्थितियों से बहुत प्रभावित थे। कम उम्र में, सराभा ग़दर पार्टी में शामिल हो गए, जो संयुक्त राज्य अमेरिका में भारतीय प्रवासियों द्वारा स्थापित एक क्रांतिकारी संगठन था । ग़दर पार्टी का उद्देश्य भारत में ब्रिटिश औपनिवेशिक शासन को उखाड़ फेंकना और एक स्वतंत्र राष्ट्र की स्थापना करना था। सराभा ने सक्रिय रूप से पार्टी की गतिविधियों में भाग लिया और आंदोलन में एक प्रमुख व्यक्ति बन गए।
सराभा ने संयुक्त राज्य अमेरिका और कनाडा में भारतीय समुदायों के बीच ग़दर पार्टी के लिए समर्थन जुटाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। उन्होंने भारत में क्रांतिकारी गतिविधियों के लिए धन और संसाधन इकट्ठा करने के लिए बड़े पैमाने पर यात्राएं भी कीं। सराभा के शक्तिशाली भाषणों और लेखों ने कई लोगों को स्वतंत्रता संग्राम में शामिल होने के लिए प्रेरित किया।
1914 में, ब्रिटिश शासन के खिलाफ क्रांति शुरू करने के इरादे से सराभा भारत लौट आए। उन्होंने भगत सिंह, चंद्रशेखर आज़ाद और राजगुरु सहित अन्य क्रांतिकारी नेताओं के साथ मिलकर काम किया। सराभा ब्रिटिश शासन को उखाड़ फेंकने और एक स्वतंत्र भारत की स्थापना के साधन के रूप में सशस्त्र प्रतिरोध में विश्वास करते थे।हालाँकि, सराभा की क्रांतिकारी गतिविधियाँ अल्पकालिक थीं। 1915 में, 19 वर्ष की आयु में, उन्हें ब्रिटिश अधिकारियों ने गिरफ्तार कर लिया। सराभा को मुकदमे का सामना करना पड़ा और उन्हें मौत की सजा सुनाई गई। अपनी कम उम्र के बावजूद, सराभा ने बड़े साहस के साथ अपनी फांसी का सामना किया और भारतीय स्वतंत्रता के लिए अपनी प्रतिबद्धता पर अडिग रहे।
स्वतंत्रता संग्राम के लिए करतार सिंह सराभा का बलिदान और समर्पण भारतीयों की पीढ़ियों को प्रेरित करता रहेगा। उन्हें एक निडर क्रांतिकारी के रूप में याद किया जाता है, जिन्होंने अपने साथी देशवासियों के अधिकारों और मुक्ति के लिए संघर्ष किया। उनकी विरासत स्वतंत्रता की खोज में भारतीय लोगों की अदम्य भावना की याद दिलाती हैविनम्र श्रद्धांजलि ।
देश की आजादी के लिए मात्र 19 वर्ष की आयु में अपने प्राणों की आहुति देने वाले करतार सिंह सराभा जी को उनकी जयंती पर नमन व विनम्र श्रद्धांजलि ।
इन्कलाब जिंदाबाद मित्रो !
शिक्षक भास्कर जोशी
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