आज श्री गंगा दशहरा छु
, य ज्येष्ठ मास क शुक्ल पक्ष कि दशमी तिथि हूँ मनायी जा,
यस मान्यता छु कि य दिन गंगा मैया क धरती में अवतरण है छी, य दिन लोग बाग गंगा नदि में स्नान करनी और मोक्ष क प्राप्त करनी,
हमर कुमाऊँ क्षेत्र में य दिन पंडित जू लोग एक द्वार पत्र बनुनी और अपुण यजमान लोगनक क दिनी जमे बज्र निवारक पांच ऋषियों क दगडं निम्न लिखीत श्लोक लिखी हुनी, और बाज़ार मे ले मिलू य दशहरा पट्टा,
अगस्त्यश्च पुलस्त्यश्च वैशम्पायन एव च। जैमिनिश्च सुमन्तुश्च पञ्चैते वज्र वारकाः।।1।।
मुने कल्याण मित्रस्य जैमिनेश्चानु कीर्तनात। विद्युदग्निभयंनास्ति लिखिते च गृहोदरे।।2।।
यत्रानुपायी भगवान् हृदयास्ते हरिरीश्वरः। भंगो भवति वज्रस्य तत्र शूलस्य का कथा।।3।।
और यस ले कही जा,
कि गंगा नदी क स्नान,
नर्मदा नदी क दर्शन, और शिप्रा नदी क नाम जपडंले
मोक्ष कि प्राप्ति है जा,
य दिन नहाते समय य मंत्र पढी जा,
रोगं शोकं तापं पापं हर मे भगवति कुमतिकलापम्।
त्रिभुवनसारे वसुधाहारे त्वमसि गतिर्मम खलु संसारे॥
आपु सबनके गंगा दशहरे क ढैरो शुभकामनाएं,
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