उत्तराखंड की राज्य सरकार ने घोषणा की है कि तीन से छह साल की उम्र के लगभग 2.5 लाख बच्चों को आंगनवाड़ी केंद्रों पर गर्म भोजन मिलेगा। ये आंगनबाड़ी केंद्र बच्चों को पोषण, स्वास्थ्य जांच और शिक्षा जैसी सेवाएं प्रदान करते हैं। इन केंद्रों पर कुछ बच्चों को कच्चा राशन दिए जाने की शिकायतों के बाद गर्म भोजन उपलब्ध कराने का निर्णय लिया गया। राज्य सरकार ने यह सुनिश्चित करने के लिए एक आदेश जारी किया है कि बच्चों को गर्म पका हुआ भोजन मिले।
हफ्ते के हर दिन का मेन्यू भी तय कर लिया गया है। सोमवार को बच्चों को नाश्ते में पोहे की नमकीन और दोपहर के भोजन में सब्जियों से भरे भरवां परांठे दिए जाएंगे। मंगलवार को नाश्ते में भुने चने और गुड़ शामिल होंगे और लंच में पुलाव शामिल होगा ,बुधवार को बच्चों को नाश्ते में मौसमी फल और लंच में दलिया दिया जाएगा। गुरुवार को नाश्ते में मंडुआ (फिंगर बाजरा) से बने बिस्किट शामिल होंगे और दोपहर के भोजन में चावल और दाल शामिल होगी। शुक्रवार को नाश्ते में भुने चने और गुड़ होंगे और दोपहर के भोजन में सब्जियों के साथ खिचड़ी शामिल होगी ,शनिवार को बच्चों को नाश्ते में चौलाई व तिल के लड्डू व दोपहर के भोजन में झंगोरे की खीर दी जाएगी। मेन्यू का उद्देश्य इन केंद्रों पर बच्चों को संतुलित और पौष्टिक आहार उपलब्ध कराना है।
वित्त के उचित प्रबंधन को सुनिश्चित करने के लिए "माता" नामक एक समिति का गठन किया जायेगा । इसमें आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं सहित कम से कम सात सदस्य होंगे। यह समिति धन के समग्र प्रबंधन के लिए जिम्मेदार होगी और यह सुनिश्चित करेगी कि भोजन समय पर और अच्छी गुणवत्ता के साथ उपलब्ध कराया जाए।
उत्तराखंड सरकार के इस फैसले से न केवल बच्चों को पौष्टिक भोजन मिलना सुनिश्चित होगा बल्कि उनके सर्वांगीण विकास में भी मदद मिलेगी। अध्ययनों से पता चला है कि कुपोषण का बच्चे के शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य पर लंबे समय तक प्रभाव पड़ सकता है, और उन्हें गर्म भोजन प्रदान करने से इस मुद्दे को दूर करने में काफी मदद मिल सकती है।
शिक्षक भास्कर जोशी
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