एनसीईआरटी भारत में शिक्षा के क्षेत्र में महत्वपूर्ण संस्था है जो नेशनल काउंसिल ऑफ एड्युकेशनल रिसर्च एण्ड ट्रेनिंग (NCERT) के नाम से भी जानी जाती है। NCERT का मुख्य कार्य भारतीय शिक्षा पाठ्यक्रम के विकास ,अनुसन्धान और संशोधन के लिए होता है। इसी लक्ष्य से, एनसीईआरटी ने हाल ही में अपने पाठ्यक्रमों को पुर्नसंयोजित (Rationalize) किया है । इसका मुख्य उद्देश्य यह है कि छात्रों को नवीनतम शैक्षणिक विषयों और उनकी विस्तृत जानकारी के साथ अधिक संगठित और अधिक संपूर्ण पाठ्यक्रम उपलब्ध कराया जा सके।एनसीईआरटी के द्वारा विकसित ये पाठ्यक्रम न केवल एक बेहतर समझदारी और समानता के बारे में सिखाते हैं, बल्कि इनमें स्थानीय और विदेशी सांस्कृतिक मूल्यों को भी समाहित किया जाता है।
छात्रों को इस तरह के पाठ्यक्रम से भी उन्नति और समाज में सम्मान प्राप्त होने का अवसर मिलता है।एक एआई भाषा मॉडल के रूप में, मेरे पास एनसीईआरटी के पाठ्यक्रम की नवीनतम जानकारी तक पहुंच नहीं है। हालाँकि, मेरी सर्वोत्तम जानकारी के अनुसार, NCERT (राष्ट्रीय शैक्षिक अनुसंधान और प्रशिक्षण परिषद) एक केंद्र सरकार का संगठन है जो भारत में प्राथमिक और माध्यमिक स्तर के छात्रों के लिए पाठ्यपुस्तकों का विकास और प्रकाशन करता है।
हाल के वर्षों में, एनसीईआरटी ने अपने पाठ्यक्रम में कुछ बदलाव किए हैं, जिसमें नए विषयों को शामिल करना और पुरानी या अप्रासंगिक सामग्री को हटाना शामिल है। इन परिवर्तनों का उद्देश्य पाठ्यक्रम को वर्तमान युग में छात्रों के लिए अधिक प्रासंगिक और उपयोगी बनाना है।
हालांकि, कुछ लोगों ने इन परिवर्तनों की आलोचना करते हुए दावा किया है कि वे राजनीति से प्रेरित हैं और एक विशेष विचारधारा या विश्वदृष्टि को बढ़ावा देने के उद्देश्य से हैं। उनका तर्क है कि परिवर्तन शिक्षा के "भगवाकरण" का एक रूप है, जिसका अर्थ है शिक्षा पर एक हिंदू राष्ट्रवादी विचारधारा को थोपना।
दूसरी ओर, परिवर्तनों के समर्थकों का तर्क है कि वे पाठ्यक्रम को आधुनिक सोच के अनुरूप लाने और छात्रों के बीच महत्वपूर्ण सोच और विश्लेषणात्मक कौशल को बढ़ावा देने के लिए आवश्यक हैं। उनका यह भी तर्क है कि परिवर्तन व्यापक शोध और विभिन्न क्षेत्रों के विशेषज्ञों के परामर्श पर आधारित हैं।
एनसीईआरटी के पाठ्यक्रम में कुछ बदलाव किए गए हैं, और जहां आलोचनाएं हुई हैं, वहीं इन परिवर्तनों के समर्थक भी रहे हैं। इन परिवर्तनों का उद्देश्य पाठ्यक्रम को वर्तमान युग में छात्रों के लिए अधिक प्रासंगिक और उपयोगी बनाना है, और यह देखा जाना बाकी है कि वे इस लक्ष्य को प्राप्त करने में कितने प्रभावी होंगे।
शिक्षक भास्कर जोशी
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