गांधी शांति पुरस्कार भारत सरकार द्वारा व्यक्तियों या संस्थानों को अहिंसा और अन्य गांधीवादी तरीकों के माध्यम से सामाजिक, आर्थिक और राजनीतिक परिवर्तन के लिए उनके योगदान के लिए दिया जाने वाला एक वार्षिक पुरस्कार है। इस पुरस्कार की स्थापना 1995 में महात्मा गांधी की 125वीं जयंती के अवसर पर की गई थी।
वर्ष 2021 के लिए गांधी शांति पुरस्कार गीता प्रेस गोरखपुर को दिया जायेगा।यह उत्तर प्रदेश में स्थित एक प्रकाशन गृह है। गीता प्रेस की स्थापना 1923 में महात्मा गांधी के शिष्य हनुमान प्रसाद पोद्दार ने की थी। प्रेस ने भगवद गीता, रामायण, महाभारत और अन्य धार्मिक और आध्यात्मिक ग्रंथों सहित हिंदी और अन्य भारतीय भाषाओं में 7000 से अधिक पुस्तकें प्रकाशित की हैं। गीता प्रेस ने गांधीवादी दर्शन और अहिंसा पर कई किताबें भी प्रकाशित की हैं।
गांधी शांति पुरस्कार एक जूरी द्वारा प्रदान किया जाता है जिसमें जीवन के विभिन्न क्षेत्रों के प्रतिष्ठित व्यक्ति शामिल होते हैं। इस पुरस्कार में ₹1 करोड़ (US$130,000) का नकद पुरस्कार और एक प्रशस्ति पत्र दिया जाता है।
गीता प्रेस के बारे में कुछ तथ्य इस प्रकार हैं:
- यह भारत में धार्मिक और आध्यात्मिक ग्रंथों का सबसे बड़ा प्रकाशक है।
- इसने हिंदी और अन्य भारतीय भाषाओं में 7000 से अधिक पुस्तकें प्रकाशित की हैं।
- इसने गांधीवादी दर्शन और अहिंसा पर कई पुस्तकें भी प्रकाशित की हैं।
- इसका मुख्यालय उत्तर प्रदेश के गोरखपुर में है।
- इसके संस्थापक हनुमान प्रसाद पोद्दार महात्मा गांधी के शिष्य थे।
गांधी शांति पुरस्कार एक प्रतिष्ठित पुरस्कार है जो अहिंसा और सामाजिक परिवर्तन के लिए प्रतिबद्ध व्यक्तियों और संस्थानों के काम को मान्यता देता है। यह पुरस्कार महात्मा गांधी के आदर्शों के लिए एक उपयुक्त श्रद्धांजलि है, जो मानते थे कि अहिंसा सामाजिक परिवर्तन के लिए सबसे शक्तिशाली हथियार है।
शिक्षक भास्कर जोशी
(शिक्षा से सूचना तक )
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Great
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