आज कुमाउनी के वरिष्ठ गीतकार, कवि हीरा सिंह राणा जी को याद करने का दिन है, उनकी तीसरी पुण्य तिथि है, नमन... लस्का कमर बांधा,हिम्मत का साथ, भोल आई उज्याली होली, का तक रौली राता...
अपने लोकगीतों के माध्यम से पहाड़ों की पीड़ा को चित्रित करने वाले प्रसिद्ध लोक गायक हीरा सिंह राणा जी की आज तीसरी पूण्यतिथि है महान पहाड़ी व लोक संस्कृति के पुरोधा को हमारी श्रधांजलि नमन। श्वेरी राणा जी जो हिरदा के नाम से प्रसिद्ध थे पर्वतीय समुदाय के सक्रिय भागीदार थे और उन्हें बहादुरी के साथ चुनौतियों का सामना करने के लिए प्रोत्साहित करते थे। हीरा सिंह राणा, जिन्हें हिरदा के नाम से भी जाना जाता है, ने अपने गीतों के लिए प्रसिद्धि प्राप्त की जो उत्तराखंडी समाज के हितों के साथ प्रतिध्वनित हुए। मनीला के डंधोली गाँव में जन्मे, उन्होंने आजीविका के संघर्षों पर काबू पाया और अपने संगीत को आगे बढ़ाया, अंततः कई लोकप्रिय कैसेट जारी किए और अपने गीतों को विभिन्न रेडियो स्टेशनों पर प्रसारित किया।
राणा जी का जन्म 1942 में उत्तराखंड के अल्मोड़ा जिले के मनीला गांव में हुआ था। उन्होंने कम उम्र में ही गाना शुरू कर दिया था और जल्दी ही अपनी दमदार आवाज और दर्शकों से जुड़ने की क्षमता के लिए जाने जाते थे। उन्होंने 1965 में अपना पहला एल्बम रिलीज़ किया और अपने पूरे करियर में 20 से अधिक एल्बम रिलीज़ किए।
राणा जी के गीत अक्सर हिमालय की सुंदरता, जीवन के सुख-दुख और परंपरा के महत्व के बारे में होते थे। वह उत्तराखंड की लोक संस्कृति के संरक्षण के कट्टर समर्थक थे और उनके संगीत ने आने वाली पीढ़ियों के लिए परंपराओं को जीवित रखने में मदद की। हीरा सिंह राणा जी उत्तराखंड लोक संगीत के एक सच्चे दिग्गज थे। उनकी दमदार आवाज और दर्शकों से जुड़ने की उनकी क्षमता ने उन्हें पूरे क्षेत्र में एक प्रिय और सम्मानीय व्यक्ति बना दिया। आने वाली पीढ़ियां उनके गीतों को याद रखेंगी।
राणा जी उत्तराखण्ड की लोक संस्कृति के संरक्षण के पक्के हिमायती थे। वह पारंपरिक संगीत और नृत्य के अथक प्रवर्तक थे और उन्होंने कई लोगों के लिए परंपराओं को जीवित रखने में मदद की।
राणा जी का निधन उत्तराखंड और पूरे भारत में लोक संगीत समुदाय के लिए एक बड़ी क्षति है। वह एक सच्चे खजाने थे और उनके संगीत की कमी हम जैसे संस्कृति के पुरोधा को हेमेशा खलता रहेगा ।
हीरा सिंह राणा जी के कुछ चर्चित गीत
रंगीली बिंदी घाघरी काई, ओ धोती लाल किनार वाली..
मेरी मानिला डानी हम तेरी बलाई ल्यूला..
आजकल हैरे ज्वाना मेरी नौली पराणा..
धनुली धन तेरो पराणा
लस्का कमर बांध हिम्मत का साथा..
के संध्या झूली रे..
के भलो मान्यो छ हो..
आ लिली बाकरी लिली..
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