केंद्रीय मंत्री श्री धर्मेंद्र प्रधान ने भारत को शिक्षा के मैकाले मॉडल से दूर जाने और अपनी शिक्षा प्रणाली को उपनिवेश मुक्त करने की आवश्यकता पर जोर दिया।




केंद्रीय मंत्री धर्मेंद्र प्रधान ने भारत को शिक्षा के मैकाले मॉडल से दूर जाने और अपनी शिक्षा प्रणाली को उपनिवेश मुक्त करने की आवश्यकता पर जोर दिया। आगंतुक सम्मेलन के समापन सत्र में बोलते हुए प्रधान ने कहा कि भारत की नींव वैदिक युग में है, लेकिन लक्ष्य वैश्विक बेंचमार्क बनना होना चाहिए।

श्री धर्मेंद्र प्रधान जी  ने राष्ट्रीय शिक्षा नीति को प्रभावी ढंग से लागू करने में शैक्षणिक संस्थानों की महत्वपूर्ण भूमिका पर प्रकाश डाला। उन्होंने संस्थानों से शारीरिक और बौद्धिक क्षमता निर्माण दोनों पर ध्यान केंद्रित करने का आग्रह किया। उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि इन संस्थानों के क्षमता निर्माण प्रयासों का 4 करोड़ छात्रों के भविष्य पर महत्वपूर्ण प्रभाव पड़ेगा।

श्री धर्मेंद्र प्रधान जी  ने राष्ट्रीय क्रेडिट फ्रेमवर्क National Credit Framework, के महत्व पर भी जोर दिया और सभी संस्थानों से इसे प्राथमिकता देने का आग्रह किया। उन्होंने बताया कि ढांचे को लागू करने से सामाजिक रूप से पिछड़े समुदायों को एक साथ काम करने और अध्ययन करने का अवसर मिलेगा। भारत में लगभग 50,000 कॉलेजों और विश्वविद्यालय मानकों के 1,100 संस्थानों के साथ, प्रधान ने निरंतर संचार और सहयोग सुनिश्चित करते हुए प्रत्येक संस्थान को दस अन्य की जिम्मेदारी लेने के लिए प्रोत्साहित किया।

शिक्षा मॉडल को उपनिवेश से मुक्त करके और क्षमता निर्माण और समावेशिता पर ध्यान केंद्रित करके, भारत का लक्ष्य अपनी शिक्षा प्रणाली को एक वैश्विक बेंचमार्क में बदलना है। आगंतुकों के सम्मेलन में श्री धर्मेंद्र प्रधान जी द्वारा की गई टिप्पणी शिक्षा क्षेत्र में सुधार और सभी के लिए समान अवसर पैदा करने की सरकार की प्रतिबद्धता को रेखांकित करती है।


शिक्षक भास्कर जोशी 

(शिक्षा से सूचना तक )

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