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 Title: The Green Guardian - A Chipko Movement Skit


Characters:


Forest Department Man (FDM)

Gaura Devi (GD)

Group of Women (GW)

Setting: A forest in Gopeshwar, 1974


(Scene begins with the Forest Department Man and the Group of Women gathered in the forest)


FDM: (Preparing to cut trees) Alright, let's start cutting these trees.


GD: (Rushing forward) Wait! Don't do it! (She embraces a tree)


FDM: (Confused) What's going on? Why are you stopping us?


GD: (Urgently) This forest is our home, our mother's home. We cannot let you destroy it.


GW: (Joining GD) Yes, she's right. We must protect the forest.


FDM: (Ignoring) It's our job. We have orders to cut these trees.


GD: (Calling her women group) Come quickly, everyone, embrace the trees!


GW: (Hugging trees) We won't let you cut these trees. We stand together to protect our home!


FDM: (Angrily) Move aside! I'm going to fire at you to scare you away!


GD: (Fearless) Go ahead, shoot us! But if the forest is safe, we will be safe too. This forest is our sanctuary!


GW: (Unyielding) We won't let you harm the forest!


(FDM hesitates, seeing the determination of GD and the women)


GD: (With conviction) Our forest is our mother's house, and we won't let you harm her!


FDM: (Realizing) I never thought about it that way. I understand now.


GD: (Encouraging) It's never too late to change. Let's all protect and preserve this forest together.


(FDM lowers his weapon)


GW: (With pride) Yes, together we can make a difference!


Narrator: And so, Gaura Devi, the Green Guardian, united the hearts of the people and the forest. Through her courage and determination, the Chipko Movement was born, bringing awareness to environmental conservation.


(All characters join hands, symbolizing unity)


Narrator: This incident marked a turning point in the Chipko Movement, inspiring many to protect nature and live sustainably.


(All characters bow and leave the stage)


Narrator: The end.


Title: द ग्रीन गार्जियन - ए चिपको मूवमेंट स्किट


पात्राणि : १.

- वन विभाग पुरुष (FDM)

- गौरा देवी (GD)

- महिलासमूहः (GW) २.


परिवेशः गोपेश्वरस्य एकं वनम्, १९७४


(वनविभागस्य पुरुषस्य महिलासमूहस्य च वने समागतेन दृश्यस्य आरम्भः भवति)


FDM: (वृक्षान् कटयितुं सज्जः) ठीकम्, एतान् वृक्षान् कटयितुं आरभामः।


जी.डी.- (अग्रे त्वरितम्) प्रतीक्ष्यताम्! मा कुरु ! (सा वृक्षं आलिंगयति) २.


एफ.डी.एम.- (भ्रान्तः) किं भवति ? किमर्थं अस्मान् निवारयसि ?


जी.डी.- (तत्कालं) एतत् वनम् अस्माकं गृहम्, अस्माकं मातुः गृहम् अस्ति। वयं भवन्तं तस्य नाशं कर्तुं न शक्नुमः।


GW: (GD सम्मिलितः) आम्, सा सम्यक् वदति। अस्माभिः वनस्य रक्षणं करणीयम्।


एफ.डी.एम.- (उपेक्ष्य) अस्माकं कार्यम् अस्ति। एतान् वृक्षान् छिन्दितुं अस्माकं आदेशाः सन्ति।


जी.डी.- (तस्याः महिलासमूहं आहूय) शीघ्रम् आगच्छन्तु, सर्वे, वृक्षान् आलिंगयन्तु!


ग.व.- (वृक्षान् आलिंगयन्) वयं भवन्तं एतान् वृक्षान् छिन्दितुं न ददामः। वयं स्वगृहस्य रक्षणार्थं मिलित्वा तिष्ठामः!


एफ.डी.एम.- (क्रोधः) पार्श्वे गच्छतु! अहं भवन्तं भयभीतं कर्तुं भवन्तं अग्निप्रहारं कर्तुं गच्छामि!


जी.डी.- (निर्भयः) अग्रे गच्छ, अस्मान् गोली मारयतु! परन्तु यदि वनं सुरक्षितं भवति तर्हि वयम् अपि सुरक्षिताः भविष्यामः। एतत् वनम् अस्माकं अभयारण्यम् अस्ति!


ग.व.- (अनिष्ठः) वयं भवन्तं वनस्य हानिं न कर्तुं ददामः!


(जीडी-स्त्रीणां च निश्चयं दृष्ट्वा एफडीएम संकोचम् करोति)


जी.डी.- (प्रत्ययेन) अस्माकं वनम् अस्माकं मातुः गृहम् अस्ति, वयं भवन्तं तस्याः हानिं कर्तुं न ददामः!


एफ.डी.एम.- (अवगम्य) अहं कदापि तथैव चिन्तितवान्। अहम् अधुना अवगच्छामि।


जी.डी.- (प्रोत्साहयन्) परिवर्तनार्थं कदापि विलम्बः न भवति। सर्वे मिलित्वा एतस्य वनस्य रक्षणं संरक्षणं च कुर्मः।


(FDM स्वस्य शस्त्रं अवनयति)


जी.डब्ल्यू.- (गर्वेन) आम्, मिलित्वा वयं भेदं कर्तुं शक्नुमः!


कथाकारः - तथा च गौरादेवी हरितपालिका जनानां हृदयं वनं च एकीकृतवती। तस्याः साहसेन, दृढनिश्चयेन च पर्यावरणसंरक्षणस्य विषये जागरूकतां जनयन् चिप्को-आन्दोलनस्य जन्म अभवत् ।


(सर्वे पात्राणि हस्तं संयोजयन्ति, एकतायाः प्रतीकं कुर्वन्ति)


कथाकारः - एषा घटना चिप्को-आन्दोलने एकः मोक्षबिन्दुः अभवत्, येन बहवः प्रकृतेः रक्षणाय, स्थायिरूपेण जीवितुं च प्रेरिताः ।


(पात्राणि सर्वे प्रणम्य मञ्चात् निर्गच्छन्ति)


कथाकारः - अन्तम् ।

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