नई दिल्ली। अब दिव्यांग छात्रों को अपनी विकलांगता के आधार पर उच्च शिक्षण संस्थानों में कोर्स चुनने और क्रेडिट की सुविधा मिलेगी। विश्वविद्यालय अनुदान आयोग (यूजीसी) ने नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति (एनईपी) के तहत सामान्य छात्रों की तरह दिव्यांगों को सुविधा देने के लिए दिशानिर्देश तैयार किए हैं।
यूजीसी के दिशानिर्देशों के अनुसार, दिव्यांग छात्रों को दो श्रेणियों में बांटा जाएगा। पहली श्रेणी में वे दिव्यांग छात्र शामिल हैं जिनकी विकलांगता गंभीर है और वे सामान्य शैक्षिक कार्यक्रमों में भाग लेने में असमर्थ हैं। दूसरी श्रेणियों में वे दिव्यांग छात्र शामिल हैं जिनकी विकलांगता कम गंभीर है और वे सामान्य शैक्षिक कार्यक्रमों में भाग ले सकते हैं, लेकिन उन्हें कुछ अतिरिक्त सहायता और सुविधाओं की आवश्यकता हो सकती है।
दिव्यांग छात्रों को अपनी श्रेणी के आधार पर, उन्हें उपलब्ध कोर्सों की एक सूची प्रदान की जाएगी। वे अपनी रुचि और क्षमता के अनुसार इन कोर्सों में से कोई भी चुन सकते हैं।
यूजीसी के दिशानिर्देशों के अनुसार, दिव्यांग छात्रों को अपनी विकलांगता के आधार पर निम्नलिखित सुविधाएं प्रदान की जाएंगी:
- कोर्स चुनने में सहायता
- अतिरिक्त सहायता और सुविधाएं
- क्रेडिट में रियायत
- परीक्षा में विशेष व्यवस्था
यूजीसी के इन दिशानिर्देशों से दिव्यांग छात्रों को अपनी शिक्षा के लक्ष्यों को प्राप्त करने में मदद मिलेगी। यह उन्हें अपनी क्षमताओं के अनुसार कोर्स चुनने और अपने करियर के लिए सही रास्ता चुनने में सक्षम बनाएगा।
यहां यूजीसी के दिशानिर्देशों के बारे में कुछ महत्वपूर्ण बिंदु दिए गए हैं:
- दिव्यांग छात्रों को दो श्रेणियों में बांटा जाएगा: गंभीर और कम गंभीर।
- गंभीर दिव्यांग छात्रों को अपनी रुचि और क्षमता के अनुसार कोर्स चुनने की अनुमति होगी।
- कम गंभीर दिव्यांग छात्रों को अतिरिक्त सहायता और सुविधाओं की आवश्यकता हो सकती है।
- दिव्यांग छात्रों को क्रेडिट में रियायत और परीक्षा में विशेष व्यवस्था प्रदान की जा सकती है।
यूजीसी के इन दिशानिर्देशों को दिव्यांग छात्रों के लिए एक महत्वपूर्ण कदम माना जा रहा है। यह उन्हें अपनी शिक्षा के लक्ष्यों को प्राप्त करने और अपने करियर में सफल होने में मदद करेगा।
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