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हिसालू ( रुबस एलिप्टिकस ) देवभूमि उत्तराखंड का औषधीय फल , कई रोगों का रामबाण इलाज ।

कुमाऊँ के प्रथम कवि श्री गुमानी पन्त जी  लिखते हैं कि हिसालू की जात बड़ी रिसालू , जाँ जाँ जाँछे उधेड़ि खाँछे। यो बात को क्वे गटो नी माननो, दुद्याल की लात सौणी पड़ंछ। अर्थात  हिसालू की नस्ल बड़ी नाराजगी भरी है,जहां-जहां जाती  है, बुरी तरह खरोंच देती  है, तो भी कोइ भी इस बात का बुरा नहीं मानता, क्योंकि दूध देने वाली गाय की लातें खानी ही पड़ती हैं। यहाँ महान कवि जिस हिसालू की बात कर रहे है वह एक कांटेदार परन्तु बहुत ही गुणों से भरपूर एक प्रशिद्ध   पौधा है जिसका सिर्फ फल ही नहीं अपितु पूर्ण पौधा ही औषधीय गुणों से भरपूर है , इस लेख में आज हम इसी पहाड़ी जंगली फल हिसालू की चर्चा करेंगे। हिसालू का वैज्ञानिक नाम रुबस एलिप्टिकस /  Rubus ellipticus , है इसे आमतौर पर हिमालयी ब्लैकबेरी के रूप में जाना जाता है, देवभूमि उत्तराखंड में पाए जाने वाले सैंकड़ो फल - फूलों औरऔषधीय पादपो में हिसालू बहुत विशेष स्थान रखता है। यह जंगली और रसदार फल न केवल दिखने में आकर्षक है बल्कि अपने औषधीय गुणों के लिए भी प्रसिद्ध है। यह पौधा इसकी मजबूत वृद्धि और स्वादिष्ट बेरी के प्रचुर उत्पादन के लिए जाना जाता है। रूबस एलिप्

भीं काफल : क्या आपने पहाड़ की स्ट्रॉबेरी खाई है ? जानिए इस औषधीय फल के बारे में ।

उत्तराखंड, जिसे "देवभूमि" या देवताओं की भूमि के रूप में जाना जाता है, को समृद्ध जैव विविधता और नयनाभिराम परिदृश्यों का आशीर्वाद प्राप्त है। इसकी विविध वनस्पतियों में पोटेंटिला इंडिका (   Potentilla indica )  का महत्वपूर्ण स्थान है। पोटेंटिला इंडिका, जिसे आमतौर पर इंडियन सिनकॉफिल ,मॉक स्ट्रॉबेरी, इंडियन-स्ट्रॉबेरी, फाल्स स्ट्रॉबेरी, बैकयार्ड स्ट्रॉबेरी, इत्यादि नामो से जाना जाता है, उत्तराखंड के पहाड़ी क्षेत्रो में पाया जाने वाला यह पादप  भीं काफल  के नाम से आम जनमानस के मध्य जाना जाता है , क्योकि यह फल देकने में बिलकुल काफल जैसा ही दिखता है ,  भीं काफल  उत्तराखंड में पाया जाने वाला एक बारहमासी जड़ी-बूटी वाला पौधा है। इसकी विशेषता इसके चमकीले पीले फूल और गहरे लोबदार पत्ते हैं। यह पौधा अपने औषधीय गुणों के लिए भी जाना जाता है ,उत्तराखंड में, पोटेंटिला इंडिका घास के मैदानों, खुली ढलानों और जंगल में पाया जाता है। इसकी उपस्थिति न केवल उत्तराखंड की सुंदरता में इजाफा करती है बल्कि समृद्ध जैव विविधता में भी योगदान देती है। पोटेंटिला इंडिका  भीं काफल  एक बारहमासी शाकाहारी पौधा है जो रोस

काफल पाको मैल नी चाखो ........ अर्थात काफल पक गए लेकिन मैंने नहीं चखे ।

काफल पाको मैल नी चाखो ........ अर्थात काफल पक गए लेकिन मैंने नहीं चखे । इन पंक्तियों को समझने के लिए आपको  दिए गए वीडियो को एक बार सुनना होगा , इस वीडियो में एक चिड़िया बार-बार इन्हीं पंक्तियों को दोहरा रही है उत्तराखंड की लोक मान्यताओं में यह काफल  और यह चिड़िया बहुत ज्यादा प्रसिद्ध है आज इस लेख में मैं आपको इस किवदंती  के साथ-साथ काफल के बारे में विस्तार से बताऊंगा । भारत के उत्तरी भाग में स्थित देवभूमि उत्तराखंड एक ऐसा राज्य है जो अपनी सम्मोहक सुंदरता, बर्फ से ढके पहाड़ों, हरे भरे जंगलों और समृद्ध वनस्पतियों और जीवों के लिए जाना जाता है। यहाँ जानवरों और पौधों की कई दुर्लभ और लुप्तप्राय प्रजातियां पाई जाति हैं ।  उत्तराखंड को पारिस्थितिक तंत्रों की एक विविध श्रेणी से नवाजा गया है, जिसमें तलहटी के उपोष्णकटिबंधीय जंगलों से लेकर उच्च हिमालय के अल्पाइन घास के मैदान शामिल हैं। यह राज्य अपनी अनूठी संस्कृति और परंपराओं के लिए जाना जाता है, उत्तराखंड राज्य का उल्लेख विभिन्न हिंदू शास्त्रों और महाभारत और रामायण जैसे महाकाव्यों में किया गया है।यह पवित्र पावन भूमि देवभूमि कहलाती है , पवित्र नदी

गुलाबी हिमालय , जानिए देवभूमि के इस विशेष पुष्प के बारे में ।

देवभूमि , जिसके नाम में ही देव हो आप समझ सकते है की वह कितनी पावन धरा होगी यह पवित्र क्षेत्र अपनी अनूठी खूबसूरती के लिए जाना जाता है। इस राज्य में प्रकृति और वन्य जीवन अपूर्व हैं जिससे इसकी खूबसूरती और विशिष्ट होने का पता चलता है। यहां के पहाड़ों में विभिन्न प्रकार के वन विस्तृत हैं जिनमे नाना प्रकार के जिव जंतु , पेड़ पौधे , औषधीय पादप , फल फूल इत्यादि मिलते है । मानसून की शुरुवात से पहले मई - जून में  उत्तराखंड और  भारत के अन्य हिमालयी राज्यों में हिमालय एक शानदार नजारे से सुशोभित होता है। जैसे ही पहली बारिश की बूंदे पहाड़ी इलाकों पर पड़ती हैं, गुलाबी फूलों का एक विशाल विस्तार इस क्षेत्र को गुलाबी रंग के खूबसूरत लबादे में ढक देता है। इन फूलों को पिंक रेन लिली, स्टॉर्म लिली या रोज़ फेयरी लिली के नाम से जाना जाता है।    इस फूल को  आमतौर पर भारतीय क्रोकस या गुलाबी, रेन लिली के रूप में जाना जाता है, एक आकर्षित करने वाला फूल का  पौधा है।  यह पौधा   Amaryllidaceae परिवार से संबंधित है और मानसून के मौसम में सुंदर गुलाबी फूल देता है और उत्तराखंड की देवभूमि को यु शुशोभित करता है मानो किसी फूल