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Showing posts with the label उत्तराखंड विशेष

हिसालू ( रुबस एलिप्टिकस ) देवभूमि उत्तराखंड का औषधीय फल , कई रोगों का रामबाण इलाज ।

कुमाऊँ के प्रथम कवि श्री गुमानी पन्त जी  लिखते हैं कि हिसालू की जात बड़ी रिसालू , जाँ जाँ जाँछे उधेड़ि खाँछे। यो बात को क्वे गटो नी माननो, दुद्याल की लात सौणी पड़ंछ। अर्थात  हिसालू की नस्ल बड़ी नाराजगी भरी है,जहां-जहां जाती  है, बुरी तरह खरोंच देती  है, तो भी कोइ भी इस बात का बुरा नहीं मानता, क्योंकि दूध देने वाली गाय की लातें खानी ही पड़ती हैं। यहाँ महान कवि जिस हिसालू की बात कर रहे है वह एक कांटेदार परन्तु बहुत ही गुणों से भरपूर एक प्रशिद्ध   पौधा है जिसका सिर्फ फल ही नहीं अपितु पूर्ण पौधा ही औषधीय गुणों से भरपूर है , इस लेख में आज हम इसी पहाड़ी जंगली फल हिसालू की चर्चा करेंगे। हिसालू का वैज्ञानिक नाम रुबस एलिप्टिकस /  Rubus ellipticus , है इसे आमतौर पर हिमालयी ब्लैकबेरी के रूप में जाना जाता है, देवभूमि उत्तराखंड में पाए जाने वाले सैंकड़ो फल - फूलों औरऔषधीय पादपो में हिसालू बहुत विशेष स्थान रखता है। यह जंगली और रसदार फल न केवल दिखने में आकर्षक है बल्कि अपने औषधीय गुणों के लिए भी प्रसिद्ध है। यह पौधा इसकी मजबूत वृद्धि और स्वादिष्ट बेरी के प्रचुर उत्पादन के लिए जाना जाता है। रूबस एलिप्

उत्तराखंड बोर्ड 10वीं और 12वीं का रिजल्ट 2023: uaresults.nic.in पर ऑनलाइन चेक करें।

उत्तराखंड बोर्ड ऑफ स्कूल एजुकेशन (यूबीएसई) द्वारा यूके बोर्ड 10वीं रिजल्ट 2023 और यूके बोर्ड 12वीं रिजल्ट 2023 को संभावित रूप से 25 मई 2023 को घोषित करने की उम्मीद है। जो छात्र परीक्षा में शामिल हुए हैं, वे आधिकारिक वेबसाइट uaresults.nic.in  पर अपने परिणाम ऑनलाइन देख सकते हैं।  उत्तराखंड बोर्ड रिजल्ट चेक करने के लिए छात्रों को रिजल्ट पोर्टल पर अपना रोल नंबर दर्ज करना होगा। परीक्षा परिणाम देखने के लिए निचे दिए लिंकों पर क्लिक करें  https://uaresults.nic.in/ https://ubse.uk.gov.in./ UBSE ने 17 मार्च से 6 अप्रैल, 2023 तक 10वीं परीक्षा आयोजित की, जबकि  12वीं की  परीक्षाएं 16 मार्च से 6 अप्रैल, 2023 तक आयोजित की गईं थीं । परीक्षा परिणाम देखने के लिए निचे दिए लिंकों पर क्लिक करें  https://uaresults.nic.in/ https://ubse.uk.gov.in./ उत्तराखंड बोर्ड की आधिकारिक वेबसाइट - ubse.uk.gov.in पर जाएं। प्रदान की गई कक्षा 10 की लॉगिन विंडो में अपना रोल नंबर और कैप्चा कोड दर्ज करें। "परिणाम प्राप्त करें" पर क्लिक करें। परिणाम स्क्रीन पर प्रदर्शित किया जाएगा। यूबीएसई 10वीं रिजल्ट 2023 डाउनलोड क

19 मई २०२३ वट सावित्री व्रत: मान्यता और महत्व ।

 वट सावित्री व्रत: मान्यता और महत्व photo credit : https://www.abplive.com/lifestyle/religion/vat-savitri-vrat-story-significance-and-pujavidhi-2138904 वट सावित्री व्रत हिन्दू धर्म में एक महत्वपूर्ण पर्व माना जाता है। यह व्रत सुहागिन महिलाएं अपने पतियों की लंबी उम्र और सुख-शांति की कामना के लिए रखती हैं। इस पर्व को ज्येष्ठ मास की अमावस्या के दिन मनाया जाता है, जो कि दिनांक 19 मई 2023 को है। इस दिन सावित्री व्रत और सत्यवान की कथा का पाठ किया जाता है और सुहागिन महिलाएं वट वृक्ष की पूजा करती हैं। इस व्रत के द्वारा महिलाएं अपने पतियों की लंबी आयु और अच्छे स्वास्थ्य की कामना करती हैं।इस व्रत के द्वारा महिलाएं अपने पतियों की लंबी आयु और उनके साथीत्व की कामना करती हैं। यह व्रत उनके पतियों के लिए आराम, खुशहाली, और शुभ समृद्धि की प्राप्ति का एक उपाय माना जाता है। हिन्दू धर्म में  वट सावित्री व्रत को अत्याधिक  मान्यता और महत्व प्राप्त है क्योंकि यह एक पत्नी की पति के प्रति वफादारी, प्रेम, और पूजा का प्रतीक है। इसके माध्यम से, महिलाएं अपने पतियों के लिए विशेष मान्यता और प्रेम व्यक्त करती हैं और उ

भीं काफल : क्या आपने पहाड़ की स्ट्रॉबेरी खाई है ? जानिए इस औषधीय फल के बारे में ।

उत्तराखंड, जिसे "देवभूमि" या देवताओं की भूमि के रूप में जाना जाता है, को समृद्ध जैव विविधता और नयनाभिराम परिदृश्यों का आशीर्वाद प्राप्त है। इसकी विविध वनस्पतियों में पोटेंटिला इंडिका (   Potentilla indica )  का महत्वपूर्ण स्थान है। पोटेंटिला इंडिका, जिसे आमतौर पर इंडियन सिनकॉफिल ,मॉक स्ट्रॉबेरी, इंडियन-स्ट्रॉबेरी, फाल्स स्ट्रॉबेरी, बैकयार्ड स्ट्रॉबेरी, इत्यादि नामो से जाना जाता है, उत्तराखंड के पहाड़ी क्षेत्रो में पाया जाने वाला यह पादप  भीं काफल  के नाम से आम जनमानस के मध्य जाना जाता है , क्योकि यह फल देकने में बिलकुल काफल जैसा ही दिखता है ,  भीं काफल  उत्तराखंड में पाया जाने वाला एक बारहमासी जड़ी-बूटी वाला पौधा है। इसकी विशेषता इसके चमकीले पीले फूल और गहरे लोबदार पत्ते हैं। यह पौधा अपने औषधीय गुणों के लिए भी जाना जाता है ,उत्तराखंड में, पोटेंटिला इंडिका घास के मैदानों, खुली ढलानों और जंगल में पाया जाता है। इसकी उपस्थिति न केवल उत्तराखंड की सुंदरता में इजाफा करती है बल्कि समृद्ध जैव विविधता में भी योगदान देती है। पोटेंटिला इंडिका  भीं काफल  एक बारहमासी शाकाहारी पौधा है जो रोस

चंपावत शिक्षा के हब के रूप में विकसित होगा मुख्यमंत्री श्री पुष्कर सिंह धामी ने "स्मार्ट स्कूल स्मार्ट ब्लॉक" कार्यक्रम का शुभारंभ किया ।

11 मई २०२३ को मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने चंपावत जिले में स्मार्ट कक्षाओं के संचालन का शुभारंभ किया है। इसके तहत, 137 स्कूलों में आधुनिक सेवाएं देकर और डिजिटल पढ़ाई के माध्यम से अधिकांश नौनिहालों को जोड़ा जाएगा। संपर्क फाउंडेशन के माध्यम से शिक्षकों को प्रशिक्षण दिया जाएगा। यह पहल प्रदेश के अन्य जिलों में भी विस्तारित की जाएगी। इसके साथ ही, इस पहल के तहत 10 शिक्षकों को स्मार्ट टीवी और डिवाइस प्रदान किए गए हैं।   मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने पूरे राज्य में स्मार्ट क्लासरूम शुरू करने की घोषणा की है। आधुनिक तकनीक के माध्यम से छात्रों को बेहतर शैक्षिक लाभ प्रदान करने और उनके भविष्य के लिए एक मजबूत नींव सुनिश्चित करने के उद्देश्य से इस पहल की शुरुआत चंपावत जिले से की गई है। मुख्यमंत्री ने गुरुवार को चंपावत के गोरालचौड़ सभागार में संपर्क फाउंडेशन द्वारा आयोजित ''स्मार्ट स्कूल-स्मार्ट ब्लॉक'' कार्यक्रम का शुभारंभ किया । उन्होंने चम्पावत में इस कार्यक्रम के संचालन के लिए संस्था के संस्थापक विनीत नायर  का आभार व्यक्त किया। "स्मार्ट स्कूल-स्मार्ट ब्लॉक" अभियान के

काफल पाको मैल नी चाखो ........ अर्थात काफल पक गए लेकिन मैंने नहीं चखे ।

काफल पाको मैल नी चाखो ........ अर्थात काफल पक गए लेकिन मैंने नहीं चखे । इन पंक्तियों को समझने के लिए आपको  दिए गए वीडियो को एक बार सुनना होगा , इस वीडियो में एक चिड़िया बार-बार इन्हीं पंक्तियों को दोहरा रही है उत्तराखंड की लोक मान्यताओं में यह काफल  और यह चिड़िया बहुत ज्यादा प्रसिद्ध है आज इस लेख में मैं आपको इस किवदंती  के साथ-साथ काफल के बारे में विस्तार से बताऊंगा । भारत के उत्तरी भाग में स्थित देवभूमि उत्तराखंड एक ऐसा राज्य है जो अपनी सम्मोहक सुंदरता, बर्फ से ढके पहाड़ों, हरे भरे जंगलों और समृद्ध वनस्पतियों और जीवों के लिए जाना जाता है। यहाँ जानवरों और पौधों की कई दुर्लभ और लुप्तप्राय प्रजातियां पाई जाति हैं ।  उत्तराखंड को पारिस्थितिक तंत्रों की एक विविध श्रेणी से नवाजा गया है, जिसमें तलहटी के उपोष्णकटिबंधीय जंगलों से लेकर उच्च हिमालय के अल्पाइन घास के मैदान शामिल हैं। यह राज्य अपनी अनूठी संस्कृति और परंपराओं के लिए जाना जाता है, उत्तराखंड राज्य का उल्लेख विभिन्न हिंदू शास्त्रों और महाभारत और रामायण जैसे महाकाव्यों में किया गया है।यह पवित्र पावन भूमि देवभूमि कहलाती है , पवित्र नदी

आदेश निर्गत: 15% के आधार पर कार्मिकों के होंगे स्थानांतरण ।

शिक्षक भास्कर जोशी  ऐसी सूचनाएं प्राप्त करने के लिए मेरे  whatsapp  समूह में जुड़े फॉलो करें , राष्ट्र निर्माण में सहयोग करें  

उत्तराखंड उच्च शिक्षा विभाग और विद्यालय शिक्षा विभाग में स्थानांतरण से संबंधित नया आदेश ।

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खुशखबरी , देवभूमि उत्तराखंड स्थित तुंगनाथ मंदिर को राष्ट्रीय स्मारक घोषित किया जाएगा ।

https://commons.m.wikimedia.org/wiki/File:Tungnath_Lord_Shiva_Temple.jpg  पंचकेदारों में से एक उत्तराखंड के तुंगनाथ मंदिर को भारत सरकार द्वारा राष्ट्रीय स्मारक घोषित किया जाना तय है।  यह घोषणा उत्तराखंड के पुरातत्व विभाग के प्रभारी अधिकारी देवराज सिंह रौतेला ने 6 मई, 2023 को की थी। यह राज्य के लिए एक महत्वपूर्ण विकास है, जो कई प्राचीन मंदिरों और धार्मिक स्थलों का घर है।  तुंगनाथ मंदिर उत्तराखंड के रुद्रप्रयाग जिले में स्थित है और समुद्र तल से 12,800 फीट की ऊंचाई पर स्थित एशिया का सबसे ऊंचा शिवालय है।  मंदिर तक पहुँचने के लिए, आगंतुकों को चोपता से 4 किमी पैदल चलना पड़ता है, जो रुद्रप्रयाग जिला मुख्यालय से 70 किमी दूर स्थित है।  मंदिर तीर्थयात्रियों और पर्यटकों के लिए समान रूप से एक लोकप्रिय गंतव्य है, इसकी आश्चर्यजनक वास्तुकला और आसपास के पहाड़ों के लुभावने दृश्य हैं।  तुंगनाथ मंदिर को राष्ट्रीय स्मारक घोषित करने का निर्णय स्वागत योग्य है, क्योंकि यह आने वाली पीढ़ियों के लिए इस प्राचीन स्थल को संरक्षित करने में मदद करेगा।  माना जाता है कि मंदिर 8वीं शताब्दी ईस्वी पूर्व का है और उत्तराखं

19 मई, 2023 को जनपद अल्मोड़ा में विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी कार्यशाला / शिविर के आयोजन होगा ।

उपर्युक्त विषयक जिलाधिकारी महोदया द्वारा दिये गये निर्देशों के क्रम में जिला प्रशासन एवं शिक्षा विभाग, अल्मोड़ा द्वारा जनपद के राजकीय माध्यमिक विद्यालयों में अध्ययनरत छात्र / छात्राओं एवं विज्ञान शिक्षकों हेतु उदय शंकर नाट्य एकेडमी में विज्ञान प्रोत्साहन शिविर का आयोजन दिनांक 19 मई, 2023 को प्रस्तावित है। जिलाधिकारी महोदया द्वारा दिये गये निर्देशों के क्रम में छात्र / छात्राओं द्वारा अपने विज्ञान मॉडलों का प्रदर्शन किया जाना है। निम्न सूची के अनुसार विज्ञान महोत्सव 2022 में जनपद स्तर पर प्रथम एवं द्वितीय स्थान प्राप्त छात्र / छात्राओं द्वारा अपने मॉडलों का प्रदर्शन किया जाना है जिसके क्रम में आप अपने विकासखण्ड से संबंधित छात्र / छात्राओं को मॉडलों के साथ प्रतिभाग करवाने हेतु तैयारियों करवाना सुनिश्चित करें। कक्षा 12 की परीक्षा दे चुके छात्र/छात्राओं को भी प्रतिभाग करवाना सुनिश्चित करेंगे । शिक्षक भास्कर जोशी  ऐसी सूचनाएं प्राप्त करने के लिए मेरे  whatsapp  समूह में जुड़े फॉलो करें , राष्ट्र निर्माण में सहयोग करें

आर्थिक रूप से कमजोर वर्ग (ईडब्ल्यूएस) के छात्रों के लिए प्रवेश प्रक्रिया, निजी स्कूलों में ईडब्ल्यूएस (EWS) श्रेणी की सीटों पर प्रवेश के लिए ऑनलाइन आवेदन प्रक्रिया नए शैक्षणिक सत्र के लिए 13 मई से 23 मई तक चलेगी।

यह सरकारों  और समाज के शिक्षा सुधि लोगो का दायित्व है की वे सुनिश्चित करें  महत्वपूर्ण है कि सभी बच्चों की शिक्षा तक पहुंच हो, भले ही उनकी वित्तीय स्थिति या अन्य परिस्थितियां कुछ भी हों इसी सन्दर्भ में  आरटीई अधिनियम इस लक्ष्य को प्राप्त करने और उन छात्रों के लिए अवसर प्रदान करने की दिशा में एक कदम है, जिनकी  गुणवत्तापूर्ण शिक्षा आर्थिक तंगी या गरीबी के कारण पहुंच नहीं हो पाती है।आरटीई (शिक्षा का अधिकार) अधिनियम कहता है कि निजी स्कूलो को आर्थिक रूप से कमजोर वर्ग (ईडब्ल्यूएस) के बच्चों के लिए 25% सीटें आरक्षित करनी चाहिए। निजी स्कूलों में ईडब्ल्यूएस श्रेणी की सीटों पर प्रवेश के लिए ऑनलाइन आवेदन प्रक्रिया नए शैक्षणिक सत्र के लिए 13 मई से 23 मई तक चलेगी।  प्रवेश प्रक्रिया 5 जून से शुरू होगी और प्रवेश के लिए 1 जून को लॉटरी निकाली जाएगी। चयनित छात्रों की सूची 16 जून से 20 जून के बीच पोर्टल पर अपलोड की जाएगी।  जिन बच्चों के माता-पिता की वार्षिक आय 55,000 रुपये से कम या इसके बराबर है, वे आरटीई के लाभ के पात्र होंगे। बीपीएल कार्डधारकों की 50% लड़कियां और कमजोर वर्ग के बच्चे भी आरटीई के लाभ के

गुलाबी हिमालय , जानिए देवभूमि के इस विशेष पुष्प के बारे में ।

देवभूमि , जिसके नाम में ही देव हो आप समझ सकते है की वह कितनी पावन धरा होगी यह पवित्र क्षेत्र अपनी अनूठी खूबसूरती के लिए जाना जाता है। इस राज्य में प्रकृति और वन्य जीवन अपूर्व हैं जिससे इसकी खूबसूरती और विशिष्ट होने का पता चलता है। यहां के पहाड़ों में विभिन्न प्रकार के वन विस्तृत हैं जिनमे नाना प्रकार के जिव जंतु , पेड़ पौधे , औषधीय पादप , फल फूल इत्यादि मिलते है । मानसून की शुरुवात से पहले मई - जून में  उत्तराखंड और  भारत के अन्य हिमालयी राज्यों में हिमालय एक शानदार नजारे से सुशोभित होता है। जैसे ही पहली बारिश की बूंदे पहाड़ी इलाकों पर पड़ती हैं, गुलाबी फूलों का एक विशाल विस्तार इस क्षेत्र को गुलाबी रंग के खूबसूरत लबादे में ढक देता है। इन फूलों को पिंक रेन लिली, स्टॉर्म लिली या रोज़ फेयरी लिली के नाम से जाना जाता है।    इस फूल को  आमतौर पर भारतीय क्रोकस या गुलाबी, रेन लिली के रूप में जाना जाता है, एक आकर्षित करने वाला फूल का  पौधा है।  यह पौधा   Amaryllidaceae परिवार से संबंधित है और मानसून के मौसम में सुंदर गुलाबी फूल देता है और उत्तराखंड की देवभूमि को यु शुशोभित करता है मानो किसी फूल