Skip to main content

Posts

Showing posts with the label कुमाऊँनी भाषा की महत्ता

अंतर्राष्ट्रीय मातृभाषा दिवस पर कुमाऊँनी संवाद : फसको के माध्यम से अपनी दूधबोली का प्रचार प्रसार करते ग्रामीण बच्चे ।

हिमालय की गोद में बसे उत्तराखंड की कुमाऊंनी बोली, क्षेत्र के भाषाई परिदृश्य में एक विशेष महत्व रखती है। जैसा कि हम 21 फरवरी को अंतर्राष्ट्रीय मातृभाषा दिवस मनाते हैं, कुमाऊंनी भाषा की समृद्ध विरासत और अनूठी विशेषताओं के बारे में जानना जरूरी है। प्राथमिक शिक्षक के तौर पर एक दशक से अधिक समय से मैंने अपने शिक्षण में कुमाऊँनी बोली का प्रयोग कर के बच्चों को सिखाया क्योंकि यह एक ऐसा माध्यम था जिसे शिक्षार्थी पहले से जानते थे , इस प्रक्रिया में कुछ नवाचार करते हुए  गपशप (जिसे में फसक नवाचार कहता हूँ ), कहानी सुनाना और कविताएँ सुनाने जैसी गतिविधियों के माध्यम से स्थानीय बोली कुमाऊँनी को पढ़ाना आरम्भ किया यह नवाचार   अविश्वसनीय रूप से फायदेमंद रहा , खासकर प्राथमिक विद्यालय की सेटिंग में। शिक्षण में  ऐसी गतिविधियाँ शामिल करना जो कक्षा में छात्रों  की भाषा कौशल में वृद्धि करे ,भाषाई और सांस्कृतिक विरासत पर गर्व करवाए, सांस्कृतिक विरासत को संरक्षित करने के अवसर प्रदान करें ,समावेशिता और सम्मान को बढ़ावा दे , सामुदायिक जुड़ाव और भागीदारी को बढ़ावा दे , छात्रों के संज्ञानात्मक विकास में योगदान दे ,