एक कहानी सुने पहले ... यह घटना 1974 ई० की है। गोपेश्वर में रैणी नामक वन में कुछ लोग आए। जब वे वृक्ष काटने के लिए तैयार होते हैं तब एक महिला-आगे आकर उन लोगो को ललकारती है और कहती है - ऐसा मत करो यह कहकर एक वृक्ष को पकड़ लेती है। परन्तु वे मजदूर वृक्ष काटने के लिए आगे आ जाते हैं और वृक्षों पर आरी कुल्हाड़ी इत्यादि चलाने लगते है और वृक्षों को काटना प्रारंभ करने लगते है । तब वह महिला अपने महिला मंगल दल को बुलाती है और कहती है-सभी जल्दी आओ और एक-एक वृक्ष को आलिंगन करो। सभी महिलाएँ वैसा ही करती हैं।तभी वन विभाग के एक कर्मचारी उसके ऊपर गोली चलाने के लिए आगे दौड़ता है। उसको देखकर वह गरजती है और ललकार कर कहती है-गोली चलाकर हमें काट दो मार दो चाहे हम तुम्हे अपने जंगल नहीं काटने देंगे । यदि वन सुरक्षित होगा तो ही हम सब भी सुरक्षित होंगे। वन हमारा मायका है। यह सुनकर वे सब रुक जाते हैं और उस गाँव से निकल जाते हैं। क्या आप जानते हो। यह साहसी महिला कौन थी। यह गौरा देवी थी। इसका जन्म चमोली जिले के लाता गाँव में हुआ। इन्होने पर्यावरण संरक्षण के लिए जगह जगह जन-जागरण किया और 'चिपको वूमन' ना
शिक्षा से ही बदलाव होगा ......