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Showing posts with the label शिक्षा

कुदरत ने ये सिफ़त दुनिया में बस औरत को बक्शी है , माँ पागल भी हो जाये तो बच्चे याद रहते हैं

  आज 14 मई को पुरे विश्व भर में मातृ दिवस या मदर डे मनाया गया यूं तो मां को याद करने के लिए किसी विशेष दिन की आवश्यकता नहीं होती है क्योंकि मैं स्वयं में खास होती हैं त्याग और प्रेम की दैवीय मूर्ति । लेकिन फिर भी मां को कुछ खास एहसास दिलाने के लिए पूरे विश्व में यह दिवस बड़े हर्षोल्लास के साथ मनाया जाता है । माताओं  का  सम्मान करने के लिए यह एक विशेष समर्पित अवसर है।  यह उन   महान महिलाओं के लिए प्यार, आभार और प्रशंसा व्यक्त करने का दिन है, जिन्होंने हमारे जीवन में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। चाहे वह हमारी माँ हो , दादी-नानी हों या मातृ तुल्य कोई अन्य महिला हों, मदर्स डे या मातृ दिवस उनके बलिदानों, बिना शर्त प्यार और अटूट प्रेम को स्वीकार करने का अवसर प्रदान करता है। यह हमारे जीवन पर माताओं के अथाह प्रभाव को प्रतिबिंबित करने और उन्हें पोषित और प्यार महसूस कराने का समय है। मदर्स डे या मातृ दिवस दुनिया भर के कई देशों में माताओं  का सम्मान करने के लिए मनाया जाने वाला एक महान  उत्सव है। यह उन असाधारण महिलाओं के लिए प्यार, आभार और प्रशंसा व्यक्त करने के लिए समर्पित दिन है जिन्होंने हमारे जी

थ्री इडियटस न बने , अपने सपनो को सही कैरियर पाथ चुन कर पूरा करें।

प्रिय छात्रों आपकी 12वीं के परिणाम आ चुके है सभी के मन में एक प्रश्न उठ रहा होगा कि अब आगे क्या करना है ? यह एक बहुत नाजुक समय होता है जब छात्रों को अपने करियर के लिए महत्वपूर्ण निर्णय लेना होता है कि उन्हें आगे भविष्य में अब क्या करना है । कई बार मां-बाप के दबाव और अज्ञानता वश सही कैरियर पाथ ना चुनने के कारण इसका खामियाजा जीवन पर्यंत उठाना पड़ता है। इस लेख के माध्यम से मैं आपको बताऊंगा कि आप अपनी इच्छा और आनंद के अनुसार कौन सा करियर चुने सकते हैं और सफल हो सकते हैं यदि फिर भी आपको कोई शंका है तो आप मुझे निसंकोच  [email protected]   पर ईमेल कर सकते हैं या  मेरे व्हाट्सएप समूह से जुड़ कर मुझे अपने प्रश्न प्रेषित कर सकते हैं मुझे आपकी मदद करने पर बहुत खुशी होगी । 12वीं कक्षा पास करने के बाद, छात्रों को अक्सर सही करियर का रास्ता चुनने की दुविधा का सामना करना पड़ता है। कई कोर्स और करियर विकल्प उपलब्ध होने के कारण, सही चुनाव करना चुनौतीपूर्ण हो जाता है। इस लेख में, हम 12वीं कक्षा के बाद क्या करें, इस पर आपको जानकारीपूर्ण मार्गदर्शन प्रदान करने का प्रयास करेंगे और विभिन्न विधाओं में

10वीं के बाद करियर विकल्प: भविष्य की सफलता के लिए अवसर तलाशें ।

अभी-अभी 10वीं और 12वीं के नतीजे घोषित हुए हैं अमूमन सभी बच्चों के मन उहापोह की स्थिति होगी कि अब आगे क्या करें इस लेख  के माध्यम से मैं आपको थोड़ा सजग व मार्गदर्शन देने का प्रयास कर रहा हूं यदि आपके मन में फिर भी कोई दुविधा हो तो आप मुझे मेल के माध्यम से  [email protected] कोई भी प्रश्न पूछ सकते हैं या आप मेरे व्हाट्सएप ग्रुप से जुड़ कर उसमें अपने प्रश्न प्रेषित कर सकते हैं मुझे आपकी मदद करने में प्रसन्नता होगी। 10वीं कक्षा पूरी करने के बाद, कई छात्र अपने भविष्य के कैरियर मार्ग को लेकर खुद को दुविधा में पाते हैं। वे अक्सर 10वीं के बाद उपलब्ध विभिन्न विकल्पों के बारे में सोचते हैं। सौभाग्य से, चुनने के लिए कई कैरियर मार्ग हैं। यह लेख 10 वीं के बाद कुछ लोकप्रिय करियर विकल्पों पर चर्चा करेगा, जिन्हें तीन मुख्य वर्गों में वर्गीकृत किया गया है: किसी विशिष्ट विषय में 12 वीं कक्षा को पूर्ण  करना , डिप्लोमा या प्रमाणन पाठ्यक्रम का चयन करना और सरकारी नौकरियों की तैयारी करना। Career Guidance chart 1.विशेष विषय चुनकर करें 12वीं की पढ़ाई: 10वीं कक्षा पूरी करने के बाद, अधिकांश छात्र 12

उत्तराखंड सरकार शैलेश मटियानी राज्य पुरस्कार एवं तरुश्री सम्मान द्वारा उत्कृष्ट शिक्षकों को करेगी सम्मानित, यदि आप भी है शिक्षक है तो आवेदन करें ।

उत्तराखंड सरकार ने शैलेश मटियानी राज्य शैक्षिक पुरस्कार योजनान्तर्गत वर्ष 2023 हेतु शिक्षा के क्षेत्र में उत्कृष्ट कार्य करने वाले राजकीय माध्यमिक / प्रारम्भिक शिक्षा / सहायता प्राप्त अशासकीय विद्यालय / डायट / संस्कृत शिक्षा में कार्यरत शिक्षकों से वर्ष 2023 के लिये आवेदन पत्र नवीन निर्धारित प्रारूप पर आमंत्रित किये हैं। आवेदन पत्र एवं आवश्यक जानकारी अपर शिक्षा निदेशक, गढ़वाल मण्डल पौड़ी/ कुमाऊँ मण्डल नैनीताल, मुख्य शिक्षा अधिकारी, खण्ड शिक्षा अधिकारी, डायट के कार्यालयों से प्राप्त किये जा सकते हैं। शिक्षक/ शिक्षिकाओं से पूर्ण रूप से भरे आवेदन पत्र सम्बन्धित खण्ड शिक्षा अधिकारी कार्यालय में जमा करने की अन्तिम तिथि दिनांक 10 जुलाई, 2023 निर्धारित है। उक्त के अतिरिक्त "पर्यावरण संरक्षण तथा संवर्द्धन" की दिशा में उल्लेखनीय कार्य करने वाले राज्य में स्थित प्राथमिक उच्च प्राथमिक, राजकीय हाईस्कूल एवं इण्टरमीडिएट कालेजों में से 03 चयनित विद्यालयों को वर्ष 2022 "तरुश्री सम्मान" से सम्मानित किये जाने हेतु प्रोफाइल ब्लॉक स्तर पर जमा करने की अन्तिम तिथि दिनांक 10 जुलाई, 2023 न

आदेश पत्र शिक्षा विभाग में विभाग के प्रति विभिन्न माध्यमों से प्रतिकूल बयान बाजी करने पर लगी रोक ।

 शिक्षक भास्कर जोशी  (शिक्षा से सूचना तक ) ऐसी सूचनाएं प्राप्त करने के लिए मेरे  whatsapp  समूह में जुड़े मेरे मैगजीन समूह से जुड़कर बच्चों के रचनात्मक कार्य साझा करें एवं उन्हें मैगजीन में प्रकाशित करवाएं । फॉलो करें , राष्ट्र निर्माण में सहयोग करें  

भीं काफल : क्या आपने पहाड़ की स्ट्रॉबेरी खाई है ? जानिए इस औषधीय फल के बारे में ।

उत्तराखंड, जिसे "देवभूमि" या देवताओं की भूमि के रूप में जाना जाता है, को समृद्ध जैव विविधता और नयनाभिराम परिदृश्यों का आशीर्वाद प्राप्त है। इसकी विविध वनस्पतियों में पोटेंटिला इंडिका (   Potentilla indica )  का महत्वपूर्ण स्थान है। पोटेंटिला इंडिका, जिसे आमतौर पर इंडियन सिनकॉफिल ,मॉक स्ट्रॉबेरी, इंडियन-स्ट्रॉबेरी, फाल्स स्ट्रॉबेरी, बैकयार्ड स्ट्रॉबेरी, इत्यादि नामो से जाना जाता है, उत्तराखंड के पहाड़ी क्षेत्रो में पाया जाने वाला यह पादप  भीं काफल  के नाम से आम जनमानस के मध्य जाना जाता है , क्योकि यह फल देकने में बिलकुल काफल जैसा ही दिखता है ,  भीं काफल  उत्तराखंड में पाया जाने वाला एक बारहमासी जड़ी-बूटी वाला पौधा है। इसकी विशेषता इसके चमकीले पीले फूल और गहरे लोबदार पत्ते हैं। यह पौधा अपने औषधीय गुणों के लिए भी जाना जाता है ,उत्तराखंड में, पोटेंटिला इंडिका घास के मैदानों, खुली ढलानों और जंगल में पाया जाता है। इसकी उपस्थिति न केवल उत्तराखंड की सुंदरता में इजाफा करती है बल्कि समृद्ध जैव विविधता में भी योगदान देती है। पोटेंटिला इंडिका  भीं काफल  एक बारहमासी शाकाहारी पौधा है जो रोस

10 मई 1857 को ब्रिटिश साम्राज्य के खिलाफ़ शुरू हुई पहली जंग-ए-आज़ादी को याद करते....साझी शहादत-साझी विरासत वाले मुल्क में गंगा-जमुनी तहजीब के पक्षधरों के लिए 1857 का वह विद्रोह हमेशा प्रेरणा स्रोत बना रहेगा।

जय हिन्द साथियों , वंदेमातरम् , इन्कलाब जिंदाबाद ! 1857 के संग्रामी अमर रहें 1857 का भारतीय विद्रोह, जिसे भारतीय विद्रोह, सिपाही विद्रोह या भारतीय स्वतंत्रता का पहला युद्ध भी कहा जाता है, भारत में ब्रिटिश औपनिवेशिक शासन के खिलाफ एक प्रमुख विद्रोह था जो 10 मई, 1857 को शुरू हुआ था। यह महान विद्रोह उस वक़्त  धार्मिक और सांस्कृतिक शिकायतों, आर्थिक शोषण और ब्रिटिश शासन के प्रति आक्रोश सहित अनेको कारकों के कारण विस्फोटित हुआ । विद्रोह के लिए तत्काल ट्रिगर नए राइफल कारतूसों की शुरुआत थी, जो कि जानवरों की चर्बी से सजी होने की अफवाह थी, जिसने हिंदू और मुस्लिम दोनों सिपाहियों (ब्रिटिश ईस्ट इंडिया कंपनी की सेना में भारतीय सैनिक) के धार्मिक विश्वासों को ठेस पहुंचाई। इस विद्रोह की सैन्य असफलता के बावजूद यह कहीं माइनों में सफल आंदोलन था जहां एक और इसने हिंदू मुस्लिम एकता की मिसाल कायम की साथ ही इसने यह भी सिद्ध किया की क्रांति का अंत  सुखद परिवर्तन होता है । 1857 के भारतीय विद्रोह को भारतीय इतिहास में एक ऐतिहासिक क्षण माना जाता है, जो भारत में ब्रिटिश औपनिवेशिक शासन के अंत की शुरुआत का प्रतीक है। इस

आर्थिक रूप से कमजोर वर्ग (ईडब्ल्यूएस) के छात्रों के लिए प्रवेश प्रक्रिया, निजी स्कूलों में ईडब्ल्यूएस (EWS) श्रेणी की सीटों पर प्रवेश के लिए ऑनलाइन आवेदन प्रक्रिया नए शैक्षणिक सत्र के लिए 13 मई से 23 मई तक चलेगी।

यह सरकारों  और समाज के शिक्षा सुधि लोगो का दायित्व है की वे सुनिश्चित करें  महत्वपूर्ण है कि सभी बच्चों की शिक्षा तक पहुंच हो, भले ही उनकी वित्तीय स्थिति या अन्य परिस्थितियां कुछ भी हों इसी सन्दर्भ में  आरटीई अधिनियम इस लक्ष्य को प्राप्त करने और उन छात्रों के लिए अवसर प्रदान करने की दिशा में एक कदम है, जिनकी  गुणवत्तापूर्ण शिक्षा आर्थिक तंगी या गरीबी के कारण पहुंच नहीं हो पाती है।आरटीई (शिक्षा का अधिकार) अधिनियम कहता है कि निजी स्कूलो को आर्थिक रूप से कमजोर वर्ग (ईडब्ल्यूएस) के बच्चों के लिए 25% सीटें आरक्षित करनी चाहिए। निजी स्कूलों में ईडब्ल्यूएस श्रेणी की सीटों पर प्रवेश के लिए ऑनलाइन आवेदन प्रक्रिया नए शैक्षणिक सत्र के लिए 13 मई से 23 मई तक चलेगी।  प्रवेश प्रक्रिया 5 जून से शुरू होगी और प्रवेश के लिए 1 जून को लॉटरी निकाली जाएगी। चयनित छात्रों की सूची 16 जून से 20 जून के बीच पोर्टल पर अपलोड की जाएगी।  जिन बच्चों के माता-पिता की वार्षिक आय 55,000 रुपये से कम या इसके बराबर है, वे आरटीई के लाभ के पात्र होंगे। बीपीएल कार्डधारकों की 50% लड़कियां और कमजोर वर्ग के बच्चे भी आरटीई के लाभ के

एनसीईआरटी NCERT ने अपना पाठ्यक्रम पुर्नसंयोजित किया है, जानिए कौन-कौन से पाठ्यक्रम बदले गए हैं ।

एनसीईआरटी भारत में शिक्षा के क्षेत्र में महत्वपूर्ण संस्था है जो नेशनल काउंसिल ऑफ एड्युकेशनल रिसर्च एण्ड ट्रेनिंग (NCERT) के नाम से भी जानी जाती है। NCERT का मुख्य कार्य भारतीय शिक्षा पाठ्यक्रम के विकास ,अनुसन्धान  और संशोधन के लिए होता है। इसी लक्ष्य से, एनसीईआरटी ने हाल ही में अपने पाठ्यक्रमों को पुर्नसंयोजित (Rationalize ) किया है । इसका मुख्य उद्देश्य यह है कि छात्रों को नवीनतम शैक्षणिक विषयों और उनकी विस्तृत जानकारी के साथ अधिक संगठित और अधिक संपूर्ण पाठ्यक्रम उपलब्ध कराया जा सके।एनसीईआरटी के द्वारा विकसित ये पाठ्यक्रम न केवल एक बेहतर समझदारी और समानता के बारे में सिखाते हैं, बल्कि इनमें स्थानीय और विदेशी सांस्कृतिक मूल्यों को भी समाहित किया जाता है।  छात्रों को इस तरह के पाठ्यक्रम से भी उन्नति और समाज में सम्मान प्राप्त होने का अवसर मिलता है।एक एआई भाषा मॉडल के रूप में, मेरे पास एनसीईआरटी के पाठ्यक्रम की नवीनतम जानकारी तक पहुंच नहीं है। हालाँकि, मेरी सर्वोत्तम जानकारी के अनुसार, NCERT (राष्ट्रीय शैक्षिक अनुसंधान और प्रशिक्षण परिषद) एक केंद्र सरकार का संगठन है जो भारत में प्राथमिक

गुरु देव रवीन्द्रनाथ टैगोर का शिक्षा दर्शन : प्रकृति बच्चों की शिक्षा का सर्वोत्तम साधन।

 गुरु देव रवीन्द्रनाथ टैगोर एक भारतीय उपन्यासकार, कवि, नाटककार,शिक्षाविद् और संगीतकार थे। उन्होंने अपने जीवन के दौरान एक से बढ़कर एक योगदान दिया। उन्होंने भारतीय संस्कृति और परंपराओं को विश्व के समक्ष प्रस्तुत किया और उनकी रचनाओं में अमूल्य संदेश थे। गुरु देव रवीन्द्रनाथ टैगोर जी को 1913 में उनके काव्य-संग्रह 'गीतांजलि' के लिए नोबेल पुरस्कार से सम्मानित किया गया था, जो भारत में नोबेल पुरस्कार जीतने वाले पहले व्यक्ति थे।   गुरु देव रवीन्द्रनाथ टैगोर जी द्वारा रचित 'जन गण मन' और 'आमर शोनार बांग्ला' दो देशों के राष्ट्रगान हैं। 'जन गण मन' भारत के राष्ट्रगान के रूप में आज भी महानतम स्थान पर  है और 'आमर शोनार बांग्ला' बांग्लादेश के राष्ट्रगान के रूप में उपयोग किया जाता है। गुरु देव रवीन्द्रनाथ टैगोर जी के जीवन और उनके कामों से जुड़ी कुछ  रोचक बातें हैं जिनकी चर्चा इस लेख में कर रहे है । उन्होंने अपनी रचनाओं को लेकर विश्व भर में यात्राएं की और उनके कार्यों का प्रभाव समाज पर था। उन्होंने विश्व प्रसिद्ध  शान्तिनिकेतन विश्वविद्यालय की स्थापना की, जो आज भी

मिल्क थिस्ल : उत्तराखंड के जंगलों में पाया जाने वाला एक कीमती औषधि पौधा ।

मिल्क थीस्ल, जिसे सिलीबम मेरियनम के नाम से भी जाना जाता है, एक ऐसा पौधा है जिसका उपयोग सदियों से इसके औषधीय गुणों के लिए किया जाता रहा है। इस पौधे का मूल  भूमध्यसागरीय क्षेत्र  है, लेकिन अब यह संयुक्त राज्य अमेरिका, यूरोप और एशिया सहित दुनिया के कई हिस्सों में पाया जा सकता है। यह पौधा अपनी कांटेदार पत्तियों और बैंगनी फूलों के लिए जाना जाता है, जिनका उपयोग अक्सर हर्बल उपचार में किया जाता है। Milk Thistle यकृत स्वास्थ्य में इसके उपयोग के लिए व्यापक रूप से जाना जाता है, लेकिन इसके कई अन्य संभावित स्वास्थ्य लाभ भी हैं। इस लेख में, हम मिल्क थिस्ल पौधे के वानस्पतिक नाम, उपयोग, फायदे, नुकसान और इसकी  परिस्थितिकी  पर चर्चा करेंगे। वानस्पतिक नाम मिल्क थिस्ल एस्टेरसिया परिवार से संबंधित है और इसे वैज्ञानिक रूप से सिलीबम मेरियनम के रूप में जाना जाता है। यह एक वार्षिक या द्विवार्षिक पौधा है जो 10 फीट तक लंबा हो सकता है। पौधे में एक बड़ा तना और कांटेदार पत्तियां होती हैं जो लंबाई में 2 फीट तक पहुंच सकती हैं। पौधे के बैंगनी फूल जून से अगस्त तक खिलते हैं और प्रति फूल सिर में 190 बीज तक हो  सकते हैं।

महिला सम्मान बचत पत्र या महिला सम्मान बचत प्रमाणपत्र कैसे बनवाएं।

  Mahila Samman Bachat Patra / Savings Certificate एक सरकारी बचत योजना है जो महिलाओं के लिए उपलब्ध है। इस योजना में महिलाओं को निशुल्क खाता खोलने की सुविधा दी जाती है जहां वे नियमित अंतराल में अपने बचत जमा कर सकती हैं। इस बचत योजना के लिए न्यूनतम निवेश राशि रुपये 1000 होती है जो कि बाद में विकसित और लंबी अवधि के लिए जमा की जा सकती है। इस बचत योजना के लाभ में शामिल ब्याज का भुगतान मासिक रूप से किया जाता है और ब्याज दर आज की तारीख पर निर्धारित की जाती है। फ़िलहाल यह 7.5 % है । अधिक जानकारी के लिए यहां पर क्लिक करें । यह बचत योजना महिलाओं को आर्थिक स्वायत्तता देने का उद्देश्य रखती है। इसके अलावा, इस योजना का लाभ उन महिलाओं को मिलता है जो अपनी निजी आर्थिक स्थिति में सुधार करना चाहती हैं। इसके अलावा, इस बचत योजना के तहत निवेश किये गए राशि पर आयकर में कटौती की सुविधा नहीं होती है। इस बचत योजना को सभी भारतीय महिलाएं खोल सकती हैं। यह योजना भारतीय पोस्ट और समस्त बैंकों में उपलब्ध होती है। बचत योजना के लिए आवेदन करने के लिए महिलाओं को अपने पासपोर्ट फोटो, आधार कार्ड, बैंक खाता और पता सबूत प्रदान

बुद्ध पूर्णिमा : इस कष्टों से भरे संसार में स्वयं के होने का कारण जानते है आप ? बुद्ध होना आसान नहीं है।

बौद्ध धर्म आज दुनिया में सबसे व्यापक धर्मों में से एक है, जिसके अनुमानित 500 मिलियन अनुयायी हैं। बौद्ध धर्म की स्थापना सिद्धार्थ गौतम ने की थी, जिनका जन्म प्राचीन भारत में 563 ईसा पूर्व के आसपास हुआ था। सिद्धार्थ गौतम को आमतौर पर बुद्ध के रूप में जाना जाता है, जिसका अर्थ है "जागृत " या "प्रबुद्ध व्यक्ति"। बुद्ध पूर्णिमा भगवान बुद्ध के जन्म, ज्ञान और मृत्यु का उत्सव है ,यह पर्व तीन बार धन्य पर्व के रूप में भी जाना जाता है। यह त्योहार दुनिया भर के बौद्धों द्वारा मनाया जाता है और बुद्ध की शिक्षाओं और ज्ञान की दिशा में उनकी यात्रा की याद दिलाता है। इस लेख में, हम बुद्ध बनने की यात्रा और कैसे यह एक आसान मार्ग नहीं है, पर चर्चा करेंगे। बुद्ध बनने के लिए बहुत अधिक तपस्या और ज्ञान की आवश्यकता होती है, और हम बुद्ध की विभिन्न शिक्षाओं का पता लगाएंगे जो हमें इस मार्ग की ओर ले जाती हैं। बुद्ध बनने की यात्रा : बौद्ध धर्म हमें सिखाता है कि बुद्ध होना या बनना आसान नहीं है। एक बुद्ध वह है जिसने ज्ञान प्राप्त किया है, और यह केवल आध्यात्मिक अभ्यास और आत्म-अनुशासन के वर्षों के माध्यम