पदं पदं प्रवर्धते...(प्रयाण गीतम्) पदं पदं प्रवर्धते, किशोर गुल्म सैनिकः! जयत्व कामनायुतः विजेतृगीत गायकः!! स्वतन्त्रता प्रवर्तकः स्वतन्त्रदेश रक्षकः! स्वतन्त्रता-सुवर्ण-जन्य- वर्ण-मोद-वर्धकः!! अशोक चक्र शोभितः करे ध्वजः त्रिवर्णकः! हृदि प्रतापवीरता अदम्य साहसान्वितः!! न मार्गरोधने क्षमाः समुद्र पर्वतादिकाः ! समस्तवैरिनाशकः यथा सुवीर सायकः!! शब्दार्थ गुल्म = सैन्यदल विजेतृ = विजेता मोद = प्रसन्नता त्रिवर्णिकः = तीन वर्ण वाला / तिरंगा अदम्य = जिसका दमन न किया जा सके साहसान्वित = साहसयुक्त साहसी रोधने = रोकने में सुवीरसायकः = अच्छे वीरों के बाण प्रतापवीरता = राणाप्रताप की वीरता स्वतन्त्रता-सुवर्ण-जन्य-वर्ण-मोद-वर्धकः = स्वतन्त्रता रूपी स्वर्ण से उत्पन्न स्वर्णिम आनन्द को बढ़ाने वाला प्रवर्धते = आगे बढ़ रहा है क्षमाः = समर्थ। अनुवाद पदं पदं …………………………………….. विजेतृगीतगायकः ।।1।। जय की कामना से युक्त, विजय के गीत गाने वाले किशोर सैन्यदल सैनिक कदम-कदम बढ़ाते हैं। स्वतन्त्रता ………………………………… पदं प्रवर्धते ।।2।। ये (किशोर सैन्यदल सैनिक) स्वाधीनता के प्रवर्तक हैं। ये स्वाधीन देश के रक्
शिक्षा से ही बदलाव होगा ......