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लोकपर्व बिखोती विषुवत संक्राति 14 अप्रैल , जानिए उस लोकपर्व के बारे में जिसके मेले में एक प्रसिद्ध गीत की नायिका दुर्गा गुम हो गई थी ।

देवभूमि में चैत्र और वैशाख के महीनों में शीत को विदा कर लौटती सुगन्धित हवा, खिले हुए बाग-बगीचे, वातावरण में गूँजती कोयलों ​​और अन्य पक्षियों की आवाजें- सब प्रकृति के दूत बन जाते हैं मानो ये सब भी किसी विशेष दिवस की प्रतीक्षा में बैठे हो  , खैर  पहले एक छोटा स्मरण  - 90 के दशक में मोबाइल फोन ,सीडी इत्यादि कुछ नहीं हुआ करते थे संगीत सुनने का सिर्फ एक माध्यम था टेप रिकॉर्डर या फिर दूरदर्शन पर आने वाला चित्रहार, हमें याद है कि पिताजी टेप रिकॉर्डर में गोपाल बाबू गोस्वामी जी के खूब गाने सुना करते थे वे उनके ही नहीं पूरे कुमाऊं के पसंदीदा कलाकार थे और आज हमारे भी पसंदीदा कलाकार है। 90 के दशक में गोपाल बाबू गोस्वामी जी ने कई हिट गाने दिए उन्हीं में से एक गाना बहुत प्रसिद्ध हुआ "अलबेरे बिखोति मेरी दुर्गा हरे गे चान चान बेर मेरी यो कमरा पटेगे " अर्थात- इस वर्ष बिखोति के मेले में मेरी प्रिय दुर्गा गुम हो गई है और मैं उसे ढूंढते -ढूंढते इतना परेशान हो गया हूं कि मेरी कमर ही थक गई है । आज इस लेख के माध्यम से मैं आपको उत्तराखंड के इसी लोकपर्व बिखोति के बारे में बताऊंगा।उत्तराखंड अपनी भव्