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  जल विद्युत ऊर्जा बांध तथा जल विद्युत शक्ति कुछ बांधों को विशेषतौर पर जल विद्युत जो जल द्वारा निर्मित विद्युत होती है, का निर्माण करने के लिए बनाया जाता है । इस किस्म की विद्युत कार्यशील, प्रदूषण-मुक्त तथा कम लागत की होती है । जल विद्युत सयंत्र घरो, स्कूलों, खेतों, फैक्टियों तथा व्यवसायों को उपयुक्त दर पर विद्युत मुहैया कराते हैं । जल को विशाल पाइपों के जरिए बांध में प्रायः उपलब्ध एक पावर हाऊस तक लाया जाता है । पावर हाऊस में जल की शक्ति टरबाईंनों को गोल-गोल धुमाती है तथा इस निरंतर गति से एक बल उत्पन्न होता है जिससे विद्युत-शक्ति का निर्माण किया जाता है । विद्युत सयंत्र में उत्पन्न विद्युत ऊर्जा बांध के पीछे के जल की स्थिजित ऊर्जा को विद्युत ऊर्जा में परिवर्तन के परिणामस्वरूप प्राप्त की जाती है । यह जल विद्युत शक्ति को तब संग्रहित करके घरों में वितरित किया जाता है जहाँ यह टीवी देखने, कम्प्यूटर पर खेलने, खाना बनाने इत्यादि के काम आती है । जल विद्युत शक्ति कैसे निर्मित की जाती है ? जल विद्युत संयत्र तेजी से प्रवाहित अथवा गिरते हुई जल की गतिज ऊर्जा से विद्युत उत्पन्न करने के लिए जल को
  बायोगैस क्या है और इसका उत्पादन कैसे होता है ? बायोगैस ऊर्जा का एक ऐसा स्रोत है, जिसका उपयोग बार-बार किया जा सकता है. इसका इस्तेमाल घरेलू तथा कृषि कार्यों के लिए भी किया जाता है. आइये इस लेख के माध्यम से अध्ययन करते हैं कि बायोगैस क्या है, कैसे बनती है, इसके क्या घटक है और इसका कहां-कहां इस्तेमाल किया जा सकता है इत्यादि. ऊर्जा दुनिया भर में सबसे बड़ा संकट है और खासतौर पर भारत के ग्रामीण इलाकों में जहां वनों की कटाई बढ़ रही है और ईंधन की उपलब्धता कम हो गई है. बायोगैस ऊर्जा का एक ऐसा स्रोत है, जिसका उपयोग बार-बार किया जा सकता है. क्या आप जानते हैं कि इसका इस्तेमाल घरेलू तथा कृषि कार्यों के लिए भी किया जा सकता है. आइये इस लेख के माध्यम से अध्ययन करते है कि बायोगैस क्या होती है, कैसे बनती है, इसके क्या घटक है और इसका कहां-कहां इस्तेमाल किया जा सकता है इत्यादि. बायोगैस क्या है? (What is Biogas) बायोगैस सौर उर्जा और पवन उर्जा की तरह ही नवीकरणीय उर्जा स्रोत है. यह गैस का वह मिश्रण है जो ऑक्सीजन की अनुपस्थिति में जैविक सामग्री के विघटन से उत्पन्न होती है. इसका मुख्य घटक मीथेन है, जो ज्व
सूर्य के प्रकाश के कितने रंग/color होते हैं ? प्रकाश का रंग सफ़ेद क्यों होता है    सूर्य हमारे सौर मण्डल का सबसे विशाल ग्रह है। यह पृथ्वी से लगभग 109 गुना अधिक बड़ा और वज़न में पृथ्वी के मुकाबले 33 लाख गुना अधिक भाड़ी है। यह सबसे अधिक गर्म ग्रह भी है। सूर्य का औसत तापमान 15 Million Degrees Celsius है। प्रकाश का सबसे बड़ा स्रोत भी सूर्य ही है। सूर्य के प्रकाश को ले कर हमेशा एक बात की जाती रही है, की सूर्य के प्रकाश का रंग क्या है। यह सफेद है या इसका कोई रंग भी है? इस प्रश्न का जवाब यह है कि सूर्य के प्रकाश में 7 रंग होते हैं। यानी कि सूर्य का प्रकाश रंगहीन नही बल्कि 7 रंगों का समूह है। इन रंगों को सामान्यतः VIBGYOR के नाम से जाना जाता है। इन रंगों को अलग – अलग बांटने पर सात रंग प्राप्त होते हैं। ये रंग बैंगनी (Violet), नीला (Indigo), हरा (Green), पीला (Yellow), नारंगी (Orange), तथा लाल (Red) हैं। जब ये सभी रंग एक साथ मिलती हैं, तब यह सफेद रंग बन जाता है। इसी कारण सूर्य की किरणों से निकलने वाला प्रकाश इन रंगों के आपस में मिलने के बाद सफेद बन जाता है। कुछ सामान्य प्रयोगों के द्वारा इन सा

प्राथमिक कक्षाओं के बच्चो में श्रम और कौशलों का विकास और परिणाम

बच्चों में ज्ञान तथा कौशलों के विकास हेतु आवश्यक है कि उन्हें मौके प्रदान किए जाएं,यह प्रकिया उनकी रचनात्मकता को बढ़ावा देने का कार्य करती है साथ ही उन्हें कार्य और आर्थिक संसार में प्रवेश हेतु तैयार करती है,आज बच्चों ने चीड़ के ठिटों से पेपर वेट का निर्माण किया | प्राथमिक कक्षाओं के बच्चों में श्रम और कौशल का विकास अत्यधिक महत्व रखता है और इसके दूरगामी परिणाम होते हैं। यह उनके समग्र विकास और भविष्य की सफलता की नींव बनाता है। आइए हम इन युवा दिमागों में श्रम और कौशल विकास के महत्व और परिणामों के बारे में जानें। सबसे पहले, प्राथमिक विद्यालय के बच्चों में श्रम और कौशल विकास एक मजबूत कार्य नैतिकता और जिम्मेदारी की भावना पैदा करता है। आयु-उपयुक्त कार्यों और गतिविधियों में शामिल होने से बच्चे कड़ी मेहनत, दृढ़ता और समर्पण का मूल्य सीखते हैं।  वे समझते हैं कि लक्ष्यों को प्राप्त करने के लिए प्रयास और प्रतिबद्धता की आवश्यकता होती है। श्रम का यह शुरुआती अनुभव काम के प्रति उनके दृष्टिकोण को आकार देने में मदद करता है और अनुशासन और आत्म-अनुशासन की भावना को बढ़ावा देता है। दूसरे, प्राथमिक वर्षों के

शराब और शिक्षा

पहाड़ों की यातनाएं हमारे पीछे हैं,मैदानों की हमारे आगे ।                                          -जर्मन कवि बर्तोल्त ब्रेख्त  शिक्षा का प्रसार , नशे का तिरस्कार   समस्याएं बहुत सारी हैं उनसे भागने से अच्छा उनके साथ लड़ना बेहतर हैं , और शिक्षा इसका सबसे बेहतर विकल्प है । जय हिमाल भास्कर जोशी  सहायक अध्यापक  राजकीय प्राथमिक विद्यालय बजेला  विकास खंड धौलादेवी जिला अल्मोड़ा

वंचितों की ऑनलाइन कक्षाएं ।

हाल ही में स्कूल खोलने को लेकर राज्य सरकार ने सुझाव मांगे थे। अगर इसका सीधा जवाब माँगा जाता तो वह तो यह था कि यह सत्र अकादमिक दृष्टि से शून्य सत्र घोषित कर दिया जाना चाहिए और महामारी पर पूर्ण नियंत्रण तक स्कूलों को नहीं खोला जाना चाहिए।    पर, जो जमीनी हालात हैं,उसमें इतना सीधा जवाब सम्भव नहीं। भारत भर में शिक्षा का एक वर्गीय ढाँचा भी है। इस वर्गीय ढाँचे के शीर्ष पर महंगे शहरी कॉन्वेंट हैं,और सबसे निचले पायदान पर ग्रामीण सरकारी विद्यालय। आप शहरों में देखिए तो इन महंगे स्कूलों में पढ़ने वाले छात्रों के साधन संपन्न होने के कारण उनको सही रणनीति के साथ ऑनलाइन शिक्षण का लाभ लगातार मिल रहा है। इनके पास संसाधन हैं, स्कूल बंद होने के बाद से प्राइवेट ट्यूटर हैं। इसके बाद मध्यवर्गीय स्कूल हैं। यहाँ पढ़ रहे बच्चों के माँ बाप भी मर खप के रेस में बने रहने को संसाधन जुटा रहे हैं। घर में अगर एक ही लेपटॉप है तो इन दिनों वो बच्चों को समर्पित है।      अंत में सरकारी विद्यालयों के विद्यार्थी हैं। जिनमें ऑनलाइन योजनाएं तो हैं,पर उनका जमीन में पहुँच पाना सम्भव

आज है जानवरों के स्वास्थ्य से जुड़ा पर्व खतड़ुवा।

आज है जानवरों के स्वास्थ्य से जुड़ा पर्व खतड़ुवा। खतड़ुवा उत्तराखंड में सदियों से मनाया जाने वाला एक पशुओं से संबंधित त्यौहार है. भादों मास के अंतिम दिन गाय की गोशाला को साफ किया जाता है उसमें हरी नरम घास न केवल बिछायी जाती है. पशुओ को पकवान इत्यादि खिलाये भी जाते हैं. प्रारंभ से ही यह कुमाऊं, गढ़वाल व नेपाल के कुछ क्षेत्रो में मनाया जाने वाला त्यौहार है. इस त्यौहार में पशुओं के स्वस्थ रहने की कामना की जाती है. भादो मसांत के अगले दिन आश्विन संक्रांति के दिन सायंकाल तक लोग आपस में निश्चित एक बाखलि पर एक लंबी लकड़ी गाडते हैं और दूर-दूर से लाये सूखी घास लकड़ी झाड़ी जैसे पिरुल,झिकडे इत्यादि को उसके आस-पास इकट्ठा कर एक पुतले का आकार देते हैं. इसे ही खतडू या कथडकू कहा जाता है. जिसका सामान्य अर्थ किसी दुखदायी वस्तु से है. महिलाएं इस दिन पशुओं की खूब सेवा करती हैं . उन्हें हरा भरा पौष्टिक घास पेट भर कर खाने को दिया जाता है. घास खिलाते हुए महिलाएं  लोकगीत गाती है. औंसो ल्यूंलो , बेटुलो ल्योंलो , गरगिलो ल्यूंलो , गाड़- गधेरान है ल्यूंलो, तेरी गुसै बची रओ, तै बची रये, एक गोरू बटी गोठ भरी जाओ, एक ग

कटारमल सूर्य मंदिर

*उत्तराखंड अल्मोड़ा का सूर्य मंदिर* कटारमल सूर्य मन्दिर भारतवर्ष का प्राचीनतम सूर्य मन्दिर है,यह पूर्वाभिमुखी है तथा उत्तराखण्ड राज्य में अल्मोड़ा जिले के अधेली सुनार नामक गॉंव में स्थित है।इसका निर्माण कत्यूरी राजवंश के तत्कालीन शासक कटारमल के द्वारा छठीं से नवीं शताब्दी में हुआ था। यह कुमांऊॅं के विशालतम ऊँचे मन्दिरों में से एक व उत्तर भारत में विलक्षण स्थापत्य एवम् शिल्प कला का बेजोड़ उदाहरण है तथा समुद्र सतह से लगभग 2116 मीटर की ऊँचाई पर पर्वत पर स्थित है।ओडिशा के कोणार्क सूर्य मंदिर के बाद कटारमल सूर्य मंदिर सूर्य भगवान को समिर्पत देश का दूसरा सबसे बड़ा मंदिर है। अल्मोड़ा शहर से 16 किमी दूर स्थित यह मंदिर एक प्रसिद्ध धार्मिक स्थल है। मंदिर का परिसर 800 साल पुराना है, जबकि मुख्य मंदिर 45 छोटे-छोटे मंदिरों से घिरा हुआ है। हालांकि यह प्राचीन तीर्थ स्थल आज एक खंडर में तब्दील हो चुका है, बावजूद इसके यह अल्मोड़ा का एक प्रमुख पर्यटन स्थल है।

विद्यालय में प्रतिभा दिवस

प्रतिभा दिवस, English Speaking Day, Doubt clearing day *रा.प्रा.वि.बजेला विकासखंड धौलादेवी* आज बच्चों ने विद्यालय में प्रतिभा दिवस हर्षोल्लास के साथ मनाया व विभिन्न गतिविधियों में प्रतिभाग करते हुए अपनी रचनात्मकता एवं सृजन करने की क्षमता का प्रदर्शन किया बच्चों ने माह *नवंबर की दीवार पत्रिका* का निर्माण किया  साथ ही अपनी *मासिक बाल पत्रिका बजेला जागरण* का भी प्रकाशन किया, मध्यान्ह भोजन उपरांत पुनः बच्चो के साथ मिलकर waste material जैसे दवाईयों की शीशी, खाली प्लास्टिक की बोतलों से रचनात्मक गतिविधि करते हुए बच्चो को अपने-अपने स्तर से *कूड़ा निस्तारण* का प्रशिक्षण देते हुए *आकर्षक झूमर* का निर्माण गया । अंत में *सूर्यग्रहण तथा चंद्रग्रहण का प्रकरण* बच्चो को मॉडल की सहायता से स्पष्ट किया गया ,बच्चो ने सभी गतिविधियों को आनंदपूर्वक सीखते हुए दिवस को सफल बनाया । बच्चों की ऊर्जा ,रचनात्मक,व सृजनात्मक क्षमता को कोटिश सलाम । 🙏🇮🇳🇮🇳🇮🇳 राष्ट्र  निर्माण का संकल्प शिक्षा का उत्थान, शिक्षक का सम्मान  बेहतर शिक्षा बेहतर समाज  भास्कर जोशी  सहायक अध्यापक  राजकीय प्राथमिक विद्यालय बजेला  विकासखंड धौ

प्रतिभा दिवस

प्रतिभा दिवस, English Speaking Day, Doubt clearing day *रा.प्रा.वि.बजेला विकासखंड धौलादेवी* आज बच्चों ने विद्यालय में प्रतिभा दिवस हर्षोल्लास के साथ मनाया वह विभिन्न गतिविधियों में प्रतिभाग करते हुए अपनी रचनात्मकता एवं सृजन करने की क्षमता का प्रदर्शन किया बच्चों ने *स्वच्छ भारत स्वच्छ  विद्यालय* पर अपनी अपनी समझ अनुसार सुंदर *पोस्टकार्डो* का निर्माण किया ,अब इन पोस्टकार्डो को माननीय प्रधानमंत्री मोहदय सहित अल्मोड़ा जनपद के सम्मानित शिक्षा अधिकारियों को प्रेषित किया जाएगा , इस गतिविधि का उद्देश्य बहुत विस्तृत था जहाँ बच्चो ने स्वच्छता हेतु अपनी समझ व रचनात्मकता का परिचय दिया वहीं उन्होंने पत्र लेखन की बारीकियों को सीखा और अपने क्षेत्र के सम्मानित शिक्षा अधिकारियों के नाम व पतों की जानकारी भी प्राप्त की । साथ ही इंग्लिश स्पीकिंग डे को भी उन्होंने आपस मे वार्तालाप और नवाचार *चित्र देखो और कहानी  बोलो* कर के मनाया। अक्टूबर माह में निर्वाचन कार्य व दिवाली की छुट्टियों के कारण बच्चे अक्टूबर माह की दीवार पर पत्रिका प्रकाशित नहीं कर पाए थे  अतः आज उन्होंने अक्टूबर माह की *दीवार पत्रिका* का न

बूढ़ी दीपावली

अब तुम चली जाओगी पूरे वर्ष तेरा इंतज़ार किया अब मेरी फसल कट चुकी है मेरे भकार भर चुके है मेरे गोठ से दूध की नदियां बह रही है मेरे बच्चे इसी अनाज दूध दही घी से पोषित हुन्गे अब तुम जा रही हो तो फिर आनेतक मेरे दीए में तेल रखना इसी दीए से फिर स्वागत करूंगा ओ दीपावली तुम जल्दी आना....... बूढ़ी दीपावली :- ************* आज हरबोधनी एकादशी को कुमाऊँनी लोग बूढ़ी दीपावली के रूप में मनाते हैं। घर-घर में पुनः दीपावली मनाई जाती है। इस दिन कुमाऊँनी महिलाऐं गेरू मिट्टी से लीपे सूप में और घर के बाहर आंगन में गीले बिस्वार द्वारा लक्ष्मी नारायण एवं भुइयां (घुइयां) की आकृतियां चित्रित करती हैं। सूप के अंदर की ओर लक्ष्मी नारायण व तुलसी का पौधा तथा पीछे की ओर सूप में भुइयां ( यानि दुष्टता, इसकी आकृति वीभत्स रूप में होती है) को बनते हैं। गृहणियां दूसरे दिन ब्रह्म मुहूरत में इस सूप पर खील, बतासे, चुडे़ और अखरोट रखकर गन्ने से उसे पीटते हुए घर के कोने कोने से उसे इस प्रकार बाहर ले जाती हैं जैसे भुइयां को फटकारते हुए घर से निकाल रही हों। इस सब का तात्पर्य है कि लक्ष्मी नारायण का स्वागत करते हुए घर से दुष्टता, दरि