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रक्षाबंधन पर्व

  *रा.प्रा.विद्यालय बजेला* हमारी नई शिक्षा नीति में व्यवहारिकता व कौशल विकास पर जोर दिया गया है , नीति अनुसार  छठी कक्षा के बाद से ही बच्चो को वोकेशनल कोर्स कराया जाएगा इसके लिए छात्रों को छठी कक्षा के बाद से ही इंटर्नशिप कराई जाएगी । नई शिक्षा नीति का मुख्य उद्देश्य बच्चे को कुशल बनाने के साथ-साथ *जिस भी क्षेत्र में वह रूचि रखता है,उसी क्षेत्र में उन्हें प्रशिक्षित कराना है।* यह छात्रों की सोच व रचनात्मक क्षमता को बढ़ाकर सीखने की प्रक्रिया को और अधिक कुशल बनाने पर जोर देती है अर्थात यह बच्चों के कौशलों के विकास पर अत्याधिक महत्व देती है यह कौशल कुछ भी हो सकते हैं जो उसके जीवन में ऊर्ध्वगति लाएं ( गुणवत्तापूर्ण शिक्षा)। यह बच्चों को किताबी कीड़ा या रट्टा लगाने की प्रवृत्ति पर अंकुश लगाती है ,यह उनकी रचनात्मकता को बढ़ाने पर जोर देती है इसमें बच्चों को क्या सीखना है सिर्फ इस बात पर नहीं बल्कि उन्हें कैसे सिखाना है इस बात पर भी जोर दिया गया है । *आज रक्षाबंधन* के पर्व पर बच्चों ने अपने परिवेश से उपलब्ध सामग्री जैसे चीड़ के पत्ते, देवदार के पत्ते , स्प्रूस के पत्ते थूजा के पत्ते( मोरपंखी )

BALA- Building as Learning Aid - बाला

 बाला – विद्यालय भवन को बच्चो के सीखने में प्रयोग करना  राजकीय प्राथमिक विद्यालय में हमने विद्यालय की दीवारों को बच्चो के सीखने और उनकी रचनात्मकता के विकास के लिये प्रयोग किया | हम पहले विद्यालय के बारे में कल्पना करते हैं! आइए पहले स्कूल की कल्पना बच्चों के लिए एक जगह के रूप में करें। आप स्वयं एक बच्चे की तरह सोच कर देखें- एक पेड़ की कल्पना करें  जिसकी शाखाएं इतनी नीचे हैं कि आप उस पर घोड़े की सवारी कर सकते हैं। एक टायर ट्रेन या टायर स्विंग की कल्पना  करें, एक टीले की कल्पना करें जिस पर आप नीचे  लुढ़क सकते हैं। या एक खिड़की  की सुरक्षा ग्रिल जिसमें आपकी उंगलिया फेरने  के लिए दिलचस्प पैटर्न हैं। या एक दीवार जिस पर आप अपनी पेंटिंग कर सकते हैं या फर्श जिस पर आप एक कविता लिख सकते हैं और कोई उस के लिए आपको डांटेगा नहीं। या एक ऐसी दीवार जिसके पीछे आप  लुक्का-छिपी खेलते हुए झाँक भी सकते है। या एक पाइप जिसके माध्यम से आप दीवार के दूसरी तरफ अपने दोस्त से बात कर सकते हैं। एक पेरिस्कोप की कल्पना करें जिसके माध्यम से आप केवल अपने मित्र से बात ही नहीं कर सकते बल्कि उसे देख भी सकते हैं। या सात रंगों

स्वच्छ विद्यालय अभियान

  स्वच्छ विद्यालय अभियान मानव संसाधन विकास मंत्रालय के अधीन स्वच्छ भारत-स्वच्छ विद्यालय अभियान  संचालित किया गया  , इस कार्यक्रम के विभिन्न पहलु इस प्रकार रहे , इन सभी बिन्दुओ पर समुदाय के साथ मिल कर कार्य किया गया । स्कूल कक्षाओं के दौरान प्रतिदिन बच्चों के साथ सफाई और स्वच्छता के विभिन्न पहलुओं पर SBAविशेष रूप से महात्मा गांधी की स्वच्छता और अच्छे स्वास्थ्य से जुड़ीं शिक्षाओं के संबंध में बात करें। कक्षा, प्रयोगशाला और पुस्तकालयों आदि की सफाई करना। स्कूल में स्थापित किसी भी मूर्ति या स्कूल की स्थापना करने वाले व्यक्ति के योगदान के बारे में बात करना और इस मूर्तियों की सफाई करना। शौचालयों और पीने के पानी वाले क्षेत्रों की सफाई करना। रसोई और सामान ग्रह की सफाई करना। खेल के मैदान की सफाई करना स्कूल बगीचों का रखरखाव और सफाई करना। स्कूल भवनों का वार्षिक रखरखाव रंगाई एवं पुताई के साथ। निबंध,वाद-विवाद, चित्रकला, सफाई और स्वच्छता पर प्रतियोगिताओं का आयोजन। ‘बाल मंत्रिमंडलों का निगरानी दल बनाना और सफाई अभियान की निगरानी करना। इसके अलावा, फिल्म शो, स्वच्छता पर निबंध / पेंटिंग और अन्य प्रतियोगित